Thursday 5 May 2016

दिल मेरा कोई खिलौना तो नही,जो हर दफा पैरो के नीचेे कुचलते जाओ गे--शीशे की

तरह उजला जो रहा मन,उसे कितनी बार सताओ गे--भूल तो सब से हो जाती है,गुनाहो

का बोझ समझ कब तक ठुकराओ गे--जमाने की रूसवाईयो से बार बार,इन जखमो को

आखिर कयू  कब तक कुरेदते जाओ गे--कब तक---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...