Wednesday, 25 May 2016

रॅजिशे मिटा दे अब दिलो की..कि पास मेरे आजा--बारिश की बूॅदो मे छिपे हैै एहसास

कई..जरा नजदीक तो आजा--थम जाए गा यह तूफान भले लेकिन..अॅदर के तूफान को

समेटने जलदी आजा--मेरी शोखी मे छिपी है मेरी मासूम हॅसी ..इस उजली सी धूप मे

बहकने केे लिए ही आजा--परदे मे छुपाया है नूरानी चेहरा..झलक इस की पाने के लिए

तू लौट के फिर आजा...फिर आजा---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...