Sunday 31 May 2015

बजा फरमाया मेरे हजूर---यह कह कर वो मेरी जिनदगी से रूखसत हो गए---हजारो

हसरतो का तूफान मुझे दे कर वो अपनी नई दुनिया मे फना हो गए------मेरे अरमान --

मेरी यह रूह तेरी जागीर तो नही -- चनद सिकको के लिए जमीर का सौदा नही कर पाए

हम-तेरी ऱजा मे खुद को दफना नही पाए हम--

Friday 29 May 2015

मेरी चाहत के तलबगार ना बनो ऐसे--जाना है मुझे दूर-बहुत दूर इतना----साथ ले जाने

का वादा भी नही कर सकते तुम से---मेरी दुनियाॅ है जहा,तुमहारे खवाब अधूरे रह जाए

गे वहा-----दौलत-शोहरत का नामो निशान है नही जहा--बस मुहबबत का जजबा लिए

जीते है अपनी दुनिया मे----लौट जाओ कि यह साथ तुम नही निभा पाओ गे----ो

Wednesday 27 May 2015

घुॅघरूओ की आवाज मे,पायल की थिरकती झनकार मे-अपना वजूद ठूठते ही रहे--उस

रूप मे,उस श्रॅगाऱ मे-आईने मे जब भी देखा,अपनी सूरत को तलाशते ही रहे----ठोलक

की थाप से बजती उन तालियो से हम डरते रहे-डरते ही रहे--इतने खूबसूरत कयो है हम

यह बेवजह सा सवाल कुदऱत से पूछते रहे---कब आए गे तेरी पनाहो मे ऐ मेरे खुदा ----

अपनी इबादत मे इन सूनी निगाहो से तुम से पूछते ही रहे------

Monday 25 May 2015

गुरबत के शिॅकजे मे भी रह कर-तेरी मुहबबत के दिए जलाना नही भूले---हर याद को

सीने मे समेटे-तेरी किसी बात को नही भूले---दौलत शोहरत का साथ नही पाया-पर इस

जिनदगी के अनदाज को मन से जीना नही भूले----हर वो छोटी सी खुशी जो तेरे मेेरे

दरमयान रही-उस का जशन मनाना आज भी नही भूले----दुनियाॅ की नजऱो मे हम कुछ

भी नही-पर तुम मेरे शहनशाह हो य़ह बात खुद की मुमताज को बताना नही भूले---

Friday 22 May 2015

चलते चलते बहुत दूर निकल आए है हम---कहाॅ ठूठो गे हमे-तुमहारे दायरे से भी बहुत

दूर निकल आए है हम-----रेत पे पाॅव धरते धरते कदमो के निशाॅ भी मिट चुके है अब---

बरफीली हवाओ के झोको मे अब तो खुद को भी झुठला चुके है हम---खुदा का रहम जो

रहा हम पे तो  खुदा के दरबार तक भी पहुच जाए गे हम---------

Wednesday 20 May 2015

वो एक कहानी जो तेरे नाम से लिख दी हम ने---तेरी खामोशियो से तेरी ही गुफतगू की

दासताॅ लिख दी हम ने--तेरी इन गहरी सी आॅखो मे हजारो सवालात के जवाब ठूठ डाले

हम ने---तेरे कदमो की चाप से मनिजल की तलाश कर डाली हम ने---तू समझे या ना

समझे तेरे बेनाम से रिशते से जनमो का बॅधन जोड डाला हम ने-------

Sunday 17 May 2015

बेवजह मुसकुराने की वजह ना बताए गे तुमहे--यह ऱाजे दिल के जजबात है ना बताए

गे तुमहे---फुरसत के लमहो मे तुम पास बैठो तो सही--जो टूट टूट कर बिखऱ गए उन

सपनो का जिकरे-हाल ना बताए गे तुमहे----मिलते है जब कभी तुम से-उन गुफतगू के

लमहो को सीने मे छिपाए रखते है हम--पर जिन दिनो के बेइनतहाॅ दरद से गुजरे है हम

उन का हाल कभी ना बताए गे तुमहे-----

Friday 15 May 2015

बिखरते है जब जजबात-एक कहानी जनम लेती है----टूटते है जब उसूल रिशते बदल

जाते है----ना तब खवाब रह पाते है साथ--ना कोई उममीद लौ दे पाती है---पर साथ हो

जब दुआओ का--कदमो मे अहसास हो जब सजदो का-----तो यही जिनदगी खूबसूरत

सी फिजा नजऱ आती है--------

Wednesday 13 May 2015

काजल नही-गजरा नही,कलाइयो मे कही कॅगन भी नही----ना माथे पे बिॅदिया है--ना

पाॅव मे पायल है कही--फिर भी महकता हुआ नूऱे-हुसन हैै-इनतजाऱ मे तेरे-----खबर

आई है फिजाओ से कही---तुम आ रहे हो हवाओ मे दूर तक खुशबू बिखरी है कही-----

इबादत करे तेरी या सजदा करे कदमो मे तेरे--दिल है कि तेरी हर खुशामदी पे आमदा है

कही-------

Tuesday 12 May 2015

लोग कहते है हमारी दुआओ मे बहुत ताकत है--रूह की मॅजर से निकलती हुई कबूले-

ताकत है----बनद आॅखो मे भरी है दुआए इतनी---खोले गे जो इनहे तो यह दुआए बिखर

जाए गी हवाओ मे ऐसे-----इन के वजूद से जो भी टकराए गा -- वो इन की पनाहो मे

खुदा का मेहरबाॅ हो जाए गा-----

Sunday 10 May 2015

खामोशियाॅ कभी मोहताज नही होती किसी की मुहबबत की--बनद दरवाजो मे खिलती

है धूप,रौशन बन कर निगाहो की---लबो पे आने नही देती किसी अफसाने को--दफन

कर देती है खुद को,बसाए हुए आशियाने मे---तडपे तो कयू तडपे इसी जजबात को

बताने मे,,आखिर मुहबबत ही जुबाॅ बन जाती है-खामोशियो की कहानी मे---------

Saturday 9 May 2015

हम कहते रहे पयार करते है तुमहे  बेइनितहाॅ बेइनितहाॅ----कैसे जी पाए गे तेरे

बिना -तेरे पयार का कहा शुकरीया------बहारे भर ली है दामन मे हम ने,तुमहारे आने से

----बरसाते थम गई है तेरे घर आने से---यू ही नही गुजारे हम ने यह बरस तेरे इनतजाऱ

मे---कभी रोए कभी तडपे,भीग गई पलके तेरी ही जुदाई मे--अब आए हो तो जाना नही

कि यह बहारे थम जाए गी,तेरे चले जाने से-----------

Tuesday 5 May 2015

रासते मे बिछी धूल जैसे नही है हम--इमितहान मेरी मुहबबत के कितने भी लो--तैयार

है हम---जिनदगी केे हर थपेडे को भी सहने के लिए तैयार है हम---धन दौलत की

चकाचौॅध को भी तेरे लिए छोड दे गे हम--तेरी बाहो मे दम तोडे-यह खवााहिश भी रखते

है हम--पर मेरा वजूद तू बिलकुल ही मिटा दे--यह तो कभी भी ना होने दे गे हम------

Sunday 3 May 2015

एक कदम दो कदम फिर चले हम कदम दर कदम---वो कहते रहे हम से कि रूक जाओ

मनिजल है अभी बहुत ही दूर--रूकना तो मेरी फितरत ही नही-फिर चाहे तुम लाख कहो

रूक जाने को----मनिजल इनतजाऱ करे गी मेरा-आखिर जुसतजू उसे भी तो है मेरी----

वही इनतजाऱ करे गे तेरा कि अपने कदमो के निशाॅ छोड आए है तेरी राहो मे---------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...