तेरी मासूम हँसी है या बहता हुआ झरना--लोग कहते है तेरी हँसी से सुबह होती है,तू जो खोले यह आंखे
तो रौशन यह ज़मी होती है---बंद कर ले जो यह पलके,शाम तन्हा होती है---गेसुओं को जो खोले,रात पूरे
शबाब पे हो जाती है---खुल के जो मेरे दिल मे समा जाये,मुहब्बत परवान की सीमा से परे होती है---अब
यू अठखेलिया ना कर मेरी शोख अदाओ से, कि ज़िन्दगी बार बार तेरी ही बाहो मे फ़ना हो जाती है----
तो रौशन यह ज़मी होती है---बंद कर ले जो यह पलके,शाम तन्हा होती है---गेसुओं को जो खोले,रात पूरे
शबाब पे हो जाती है---खुल के जो मेरे दिल मे समा जाये,मुहब्बत परवान की सीमा से परे होती है---अब
यू अठखेलिया ना कर मेरी शोख अदाओ से, कि ज़िन्दगी बार बार तेरी ही बाहो मे फ़ना हो जाती है----