वो मेरी नजऱ का कोई धोखा था या किसमत की कोई रजिॅश..बेवफाई के नाम पर तेरा
हर बार वफा जताना मुझ से..पयार का कोई पैमाना नही होता..पर बेवफाई के लिए कोई
नाम मुहबबत मे कुरबान भी नही होता..कहने के लिए अब और कुछ भी नही बाकी..कि
दुनिया मे मुहबबत के नाम को डुबो दिया तुम ने....
हर बार वफा जताना मुझ से..पयार का कोई पैमाना नही होता..पर बेवफाई के लिए कोई
नाम मुहबबत मे कुरबान भी नही होता..कहने के लिए अब और कुछ भी नही बाकी..कि
दुनिया मे मुहबबत के नाम को डुबो दिया तुम ने....