Thursday 22 February 2018

हसरतो को बुलाए या फिर हसरतो को रुला दे...उन बुलंदियों पे है,जहा दौलत को चुने या फकीरी की

असल राह को चुने....पत्थर के शहर मे किसे इंसान कहे,किस को फरिश्ता कह दे...फर्क कितना है

मगर,किस पे विश्वास करे तो किस को दगाबाज़ कहे....प्यार लबालब लुटाने वाले अंदर से किस मिट्टी

के बने...इस रूप से वाकिफ होने के लिए,कितने जनम और ले या  इसी जनम मे इन की करतूतों को

पर्दाफाश करे....
हर गुजरता लम्हा हमी से हमारी उम्र को चुरा रहा है.....ओस की बूंदो की तरह यह वक़्त भी हमारे

हाथो से फिसल रहा है....खुद की धडकनों को जो सुने,तो यह आज भी बेबाक धड़क रही है...किसी

भी खौफ से दूर,हर इम्तिहान के लिए तैयार हो रही है....उम्र और वक़्त से परे,यह अपने मेहबूब पे

निसार हो रही है....जा रे वक़्त तू क्या हम से चुराए गा,मेहबूब की बाहों का यह प्यार तेरी ही धज़्ज़िया

उड़ा जाए गा.....
तुझे हां  भी कैसे कहे,तुझे ना भी कैसे करे....जिस ज़िन्दगी से हम बंधे है,उस की तौहीन भला हम क्यों

करे....नन्हा सा दिल है हमारा,हज़ारो ख्वाइशो को जीने के लिए....मोम की तरह पिघलते है,और खुद

ही खुद मे जल जाते है....आईने मे जब जब खुद को देखते है,एक सवाल अपने आप से उठाते है ...ऐसा

क्या है हम मे,कि दुनिया की नज़रो मे,उन के दिलो मे उतर जाते है.... 

Wednesday 21 February 2018

हर मोड़ पे हम भूल पे भूल करते चले गए...तुझी को पाने की कोशिश मे,कभी रोए कभी बेबस होते

चले गए....मेहंदी रची तेरी उन हथेलियों को आज भी याद करते है,तेरे माथे की उस बिंदिया पे जब

किसी और का नाम जान लेते है...यकीं नहीं होता कि राहे अब ज़ुदा है हमारी...अकेले चलने की

हालत मे बस तबाह होते चले गए....दीवाने बने तो इतना बने कि भूल पे भूल करते चले गए ...
यु तो तेरे शहर की हर गली से वाकिफ है हम.....तू जहा से भी गुजर जाए,उस के हर कदम से मुखातिब

है हम....परदे मे रहो या पर्दो की आड़ मे,तुझे पहचानने की भूल नहीं कर सके गे हम....सांसो पे काबू

रखने की कोशिश मे,तुम को याद आया कि दिल आज भी तुम्हारा है हमारे पास.....नैनों की भाषा कौन

पढ़ पाए गा कि इन नैनों की कमान है अब हमारे पास....
तुझ पे दुआऐ बरसाने के लिए,जरुरी तो नहीं कि तेरे साथ जिया जाए...मेरी रूह तुझे हर वक़्त महफूज़

रखे,जरुरी नहीं कि मेरा जिस्म तेरे दायरे मे रहे....इबादत  के ताने-बाने मे,कितना खुद को गलाया

कितने जज्बात बहे....खुद की सफाई मे सिर्फ नाम खुदा का पुकारा और सारे सुबह शाम बस उसी के

नाम किए....अपने लिए क्या मांगे,बस रूह से जुड़े हर शख्स को दुआओ मे नहला कर...आँखों के यह

मोती इन्ही पे कुर्बान किए..... 

Tuesday 20 February 2018

तेरी रज़ा ना सही मगर तू मेरे जीने की वजह तो है....हज़ारो सितारों के बीच,इक झिलमिलाता नन्हा

सा सितारा तो हू.....रौशन तेरा जहाँ बेशक ना कर पाऊ कभी,मगर तुझे दुनिया की गुस्ताख़ नज़रो

से बचाने का इरादा तो है....तुझ पे लुटाने के लिए दौलत के ख़ज़ाने नहीं है मगर,तेरे लिए खुशियों

की दुआएं क़बूल करवा लू....इतनी शिदत तो मेरी इबादत मे है .... हर जनम तेरी रज़ा भले ना

हो,मगर हर जनम सिर्फ तेरे लिए लू,यह गुजारिश तो आज भी है.....

Monday 19 February 2018

तेरे रूप के चर्चे सुने,तेरी आँखों के ना जाने कितने नाम सुने....शिद्दत से  चाहने वाले  तेरे दीवाने

भी सुने...कुछ तेरे नाम से जिए,कुछ तेरे नाम से मरे.....सुर्ख लबो की तारीफ मे गुलाब कितने ही

झुके.....गेसू जब जब बंध के खुले,बादल भी उतनी तेज़ी से बरसे और बरसते ही रहे...पायल की खनक

से बिजली जो चमकी,आसमान के सीने मे कुछ तीर ऐसे भी चुभे...कि चाँद की चांदनी उस के आगोश

मे लिपटी हज़ारो अफ़साने कहे...हा अब तेरे इस रूप को देखने के लिए,यह मेरे कदम हज़ारो मील की

दुरी तय करने के लिए...अब तेरे पास आने को हुए ....

Tuesday 13 February 2018

कलम अपनी को जरा रोकिये ना,या फिर मुझ को इन्ही पन्नो पे कहानी की तरह लिख लीजिए ना ..

इतने लफ्ज़ो मे कभी मेरा नाम भी लिखा कीजिए,प्यार के अल्फाज़ो मे कुछ अल्फ़ाज़ हमारे नाम

भी कीजिए....सुन कर इन की बात हम बेतहाशा हँस दिए....याद कीजिए उस वक़्त को,हमारी कलम

की जादूगिरी पे कुर्बान सब से जय्दा आप थे...हम से जय्दा इन्ही पन्नो के कायल भी आप थे....उम्र

भर का जब साथ है,तो पन्नो पे नाम आप का क्यों लिखे ....दिल की किताब मे बसे है जब,तो कुछ

ख्याल अब हमारा भी तो कीजिए ......

Monday 12 February 2018

आज वक़्त से पूछा हम ने,क्यूँ इतने मगरूर हो तुम....किसी जगह रुकते ही नहीं,किसी की बात क्यूँ

सुनते नहीं तुम.....खुशियाँ दे कर इंतिहा,फिर उन्ही को हम से क्यूँ छीन लेते हो तुम....ख़ुशी से जब

छलकती है यह आंखे,तो गमो को परोस कर इन्ही आँखों को क्यूँ बेतहाशा रुला देते हो तुम.....क्या

वजह है,ऐसा क्यूँ करते हो तुम..." मै अगर खुशियाँ ही खुशियाँ देता,तो मेरी कदर करता कौन..वक़्त

ही को रुला कर,दुसरो की खुशियाँ लूट लेता यही इंसान" जवाब दिया इसी वक़्त ने...सर झुकाया और

अदब से बोला हम ने,मगरूर तुम नहीं..घिनोने है हम इंसान.....


Sunday 11 February 2018

बेपरवाह रहने के लिए,जरुरी था कि खुद को सवारा जाए....यह मुस्कान फिर लौट कर ना जाए कभी,

जरुरी था कि ज़मीर पे बोझ ना डाला जाए....चुपके चुपके कोई दर्द का झोका हम को रुला ना जाए,

खुद को आईने मे सौ बार निहारा हम ने.....सादगी मे जीने के लिए कोई ना टोके हम को,हर फूल से

हौले हौले उस का हुस्न चुराया हम ने.....जीते जी रोशन रहे दुनिया मेरी,हर किसी के हर सवाल को

सिरे से नकार दिया हम ने....

Wednesday 7 February 2018

बदनाम गलियों से निकल कर,आरज़ू की राह देखी....सितम पे सितम झेले,मगर हसरतो की चाह

कभी ना भूले...पायल आवाज़ करती रही,बाशिंदे साज़ बजाते रहे....बहुत नाचे बदनाम गलियों मे

मेहमान नवाज़ी की रस्मो मे ढले,पंखो को उड़ान देना फिर भी ना भूले....किसी की लफ्ज़-अदाएगी

को अपना समझने की भूल ना कर बैठे,दिल को ख़बरदार करना कभी भी ना भूले...यह वो रंग है

इस दुनिया का,नकाबपोशों को सिरे से नकारना किसी पल भी नहीं चूके......

Tuesday 6 February 2018

मंद मंद मुस्कुराते हुए,मेरे कानो मे हौले से जो उस ने कहा.....दिल की धड़कनो को कुछ समझाया

कुछ को जिगर के आर-पार किया.....रेशमी जुल्फों को अपना नाम दिया और घटा बन उन को

बरसने को कहा....हाथो की लकीरो पे नाम अपना लिख कर,जन्म भर का साथ मांग लिया....यह

इत्फ़ाक रहा या कोई मीठा सपना मेरा,जो उस ने हौले से कहा मेरे दिल ने आसानी से सुन जो लिया...

Monday 5 February 2018

ज़िंदगी कहती रही ,हम सुनते रहे....वो सबक देती रही,हम सबक सीखते रहे....किसी मोड़ पे बर्बाद कर

वो हम पे हस पड़ी और हम.....बेबसी का घूट पी उस का सबक मानते रहे......ख़ुशी के लम्हो को जो

सहेजा हम ने,बात बात पे खिलखिला कर जब हसना सीखा हम ने......चुपके से फिर कही से वार

कर,हमें दर्द का वो तोहफा दिया कि ना रो सके ना फिर चुप रह सके.....जाए तो जाए कहाँ,बस इल्तज़ा

है ज़िंदगी...अब तो इंसाफ कर..कुछ ख़ुशी ऐसी तो दे कि तेरे नाम पे हम को नाज़ हो....

Sunday 4 February 2018

आप को याद किया तो मुस्कुरा दिए....हर लम्हा साथ का याद कर शरमा गए .....आप तो आप है

इस बात के एहसास भर से,फक्र से दुनिया को आप का नाम बता गए.....जलन की आग जो भडकी

हम तो आप की कसम,सातवें आसमां पे आ गए.....खुशनसीबी पे अपनी इतरा इतरा गए....आप को

चाहना यक़ीनन हमारी खुदगर्ज़ी ना थी,मगर आप की जिंदगी मे हम शामिल है...यह दुआओ की

मर्ज़ी तो थी....
एक आशा  एक निराशा .....कही ख़ुशी का झुरमुट कही दुखो का सन्नाटा .....कही रेत से तपती धरा

तो कही सैलाब मे डूबी यही धरा....मचल गया एक नादान महज सोने के सिक्को के लिए......और

कही दूर खड़ा एक नादान भूख से बेहाल तरस गया सूखी रोटी के लिए....बेवजह बरसी बारिश सब

तहस नहस करने के लिए और बिना बूंदो के चल बसा एक सुखी संसार.....किस्मत का खेल है या

कर्मो का दिया.....जो भी हुआ उस की मर्ज़ी से हुआ....

Saturday 3 February 2018

खामोश रह कर बहुत कुछ सीखा हम ने.....खुद की लड़ाई से खुद ही को जीता हम ने.....टूट टूट कर

रोते रोते,अपने आंसुओ को खुद की खूबसूरत मुस्कुराहट मे बदला हम ने....यह सैलाब कभी फिर हम

को बहा ना ले जाए,किताबो की रवानगी मे खुद को भिगोया हम ने....आँखों के हर उस सपने से भी

मुँह मोड़ा हम ने,जिस के लिए हम जीते रहे..ज़िंदा रहना फिर से सीखा हम ने....मलाल रहे गा आखिरी

सांस तक अपने सपनो के टूट जाने गा,हमारी मुस्कान से कोई हमारे मन को ना समझ पाए गा.....
दुनिया सवाल उठा भी दे,जुदाई का फ़रमान सुना भी दे....जिल्लतों की इंतहा करती रहे,या फिर

रस्मो की दुहाई तक देती रहे.....समझ तेरी पे हम कुर्बान होते रहे,शराफत के लिबास मे जुड़े

तेरे अंदाज़ से प्यार करते रहे....सुबह की पहली किरण की तरह तेरा वो मासूम सा अहसास,आंख

खुले तो देखने के लिए यह नज़र उठे बस तेरे ही साथ....प्यार की इक मिसाल हम भी बने,मुहब्बत

का कमाल तेरे चेहरे पे रहे.....किताबो मे नहीं,हकीकत मे तेरा मेरा प्यार सब के लिए इक पाक

फ़रमान बने.....
खूबसूरत नज़ारो को जो देखा,यक़ीनन इस ज़िंदगी से बेपनाह प्यार हो गया....समंदर की लहरों को

जो छुआ,हर जनम इस के साथ बहकने का इरादा हो गया....तितली को जो उड़ते देखा,आसमान मे

खुद को  उड़ान देने का मन हो गया....हथेलियों से जो रेत का घर बनाया हम ने,सच कहे तेरे साथ

फिर हज़ारो जन्म अपने घर मे रहने का दिल हो गया ....हकीकत मे,तू साथ नहीं अब मेरे..लेकिन

खुदा की रहमत जान कर यह दिल क्यों फिर भर आया.....

Friday 2 February 2018

सुर ताल की महफ़िल मे,जो थिरके कदम तो रुक नहीं पाए....रातो का सकून पाने के लिए,किसी रात

भी हम सो नहीं पाए....घुँगरू की आवाज़ मे,किसी और आवाज़ को सुन नहीं पाए....ज़माना देता रहा

दस्तक,और हम..और हम रो भी नहीं पाए....तरसते रहे किसी ऐसी शाम के लिए,जो दिन का उजाला

बन कर हम से मिल लेती....घुंगरू बजते रहे,टूटते रहे..और हम हर रात मरते रहे,मरते रहे.....

Thursday 1 February 2018

मुझे समझने के लिए,तेरे पास वो नज़र ही नहीं---दिलो को जो जोड़ दे,ऐसी तेरी कोई मंशा भी नहीं---

टुकड़े दिलो के इकट्ठा कर ले,ऐसा कभी तूने सोचा भी तो नहीं----वफ़ा के नाम पे कभी मुहब्बत को

आबाद कर दे,यह करना तेरी फितरत ही नहीं----लोग मरते है तेरे शाही रूप के लिए,आहे भरते है

तुझे पाने के लिए....समंदर भी बहुत गहरा है,नदियों के सहारे के बिना उस का वज़ूद कहाँ....मेरी

धडकनों को जो समझे,तेरे पास वो दिल ही कहाँ ......
हम इक पहेली है,यह कह कर दोस्ती का दामन छोड़ दिया---हर बात पे खामोश ही खामोश है,गुफ्तगू

का दायरा सीमित कर दिया-----मुस्कराहट पे हमारी कुबान होने वाले,उस शख़्स ने जैसे हम को इक

गुनहगार ही मान लिया----कैसे बताए उस को कि खुद का दर्द बांटने की आदत ही नहीं.....दुनिया को

अपनी हसी से हँसा दे,इस से जयदा कुछ चाहा ही नहीं....छोटी सी इक दुनिया है मेरी,दुनिया जवाब-

तल्ब करे...इस से पहले खुद ही दुनिया को छोड़ दिया....
खूबसूरत नज़ारो ने इक इशारा सा दिया...इन धड़कनो को तेरा होने पे मजबूर किया---मदहोश

हवाएं तेरा साथ पाने के लिए गुनगुनाया करती है----चाँद के आने से पहले तुझी से इक छोटी सी

गुजारिश करती है---सदियों के लिए अपना बना ले मुझ को,किसी की नज़र ना लगे अपने सीने मे

छुपा ले मुझ को----दरख़्तों की छाँव मे इक आवाज़ सी आती है,तू किसी और का नहीं मेरा अपना

है---शाख से  टूट कर इन पत्तो ने मुझे यह एहसास दिया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...