हसरतो को बुलाए या फिर हसरतो को रुला दे...उन बुलंदियों पे है,जहा दौलत को चुने या फकीरी की
असल राह को चुने....पत्थर के शहर मे किसे इंसान कहे,किस को फरिश्ता कह दे...फर्क कितना है
मगर,किस पे विश्वास करे तो किस को दगाबाज़ कहे....प्यार लबालब लुटाने वाले अंदर से किस मिट्टी
के बने...इस रूप से वाकिफ होने के लिए,कितने जनम और ले या इसी जनम मे इन की करतूतों को
पर्दाफाश करे....
असल राह को चुने....पत्थर के शहर मे किसे इंसान कहे,किस को फरिश्ता कह दे...फर्क कितना है
मगर,किस पे विश्वास करे तो किस को दगाबाज़ कहे....प्यार लबालब लुटाने वाले अंदर से किस मिट्टी
के बने...इस रूप से वाकिफ होने के लिए,कितने जनम और ले या इसी जनम मे इन की करतूतों को
पर्दाफाश करे....