Monday, 10 October 2016

 ना जुबाँ ही खुली,ना इशारा आँखों ने दिया..बात बनने के लिए साथ तेरी वफ़ा ने दिया....य़ू तो बिखरे

है ज़ज्बात हज़ारो सीने मे मेरे,लिखते है लफ़्ज़ों की कहानी धड़कन की जुबानी...फिर कोई दुआ दी है

किसी अपने ने मेरी सलामती के लिए...मेरी ही ख़ुशी को मुकर्रर करने के लिए....मुहब्बत मेरी राहो

मे बस चली आई है..तूने जो समझा है मुझे अपनी तकदीरे-वफ़ा बनाने के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...