हर राज़ खोले गे,तो बिखर जाओ गे....कही है धुँआ तो कही है दरिया पानी का....बहुत ही मुश्किलो से
रखा है खुद को जीने के काबिल...सब कुछ बता दे गे तो हमारी तक़दीर पे मायूस हो जाओ गे...वो मंज़र
जो गर देखा होता तुम ने..बिखरते सपनो का टूटा हुआ जहाँ मेरा, जो देखा होता तुम ने...मुस्कुराते हो
कम क्यों इतना,यह खामोश सा सवाल न पूछा होता तुम ने..
रखा है खुद को जीने के काबिल...सब कुछ बता दे गे तो हमारी तक़दीर पे मायूस हो जाओ गे...वो मंज़र
जो गर देखा होता तुम ने..बिखरते सपनो का टूटा हुआ जहाँ मेरा, जो देखा होता तुम ने...मुस्कुराते हो
कम क्यों इतना,यह खामोश सा सवाल न पूछा होता तुम ने..