Tuesday 25 October 2016

तुझ से तेरी ही हद मे जीने के लिए..हज़ारो वादे निभा दिए मैंने...तू कही खफा न हो,इस डर से तेरी

बदनामी को अपना लिया मैंने...राह चलते लोगो से बेरुखी जो मिली मुझ को,तहे दिल से सर आँखों

पे रख लिया उस को....आंसुओ को छिपाया खुद की पलकों मे..तू कही बेज़ार न हो,इस डर से आँखों

से मुस्कुराना सीखा मैंने...बेवफा हो चुका है तेरा दामन,फिर भी तेरे नाम से खुद को अब तक जोड़ा

है मैंने.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...