ऐ जिनदगी तुझ से शिकवा कया करू--दरद की आॅधियो ने जब जब भी रूलाया मुझ को
---दिल की ताकत ने तुझ सेे जोड दिया मुझ को-----सबऱ को बाॅधा,इतना बाॅधा तूने
वजूद से मेरेे कि जब भी आए तूफाॅ भारी भरकम---इसी सबर ने मुझे ऐ जिनदगी तुझ
से पयार करना और सिखा दिया---आज आजाद हू अपनी सोच से इतना,कि इबादत मे
भी अपनी, सब के गुनाहो को बखश दिया मैने----ऐ जिनदगी----ऐ जिनदगी----
---दिल की ताकत ने तुझ सेे जोड दिया मुझ को-----सबऱ को बाॅधा,इतना बाॅधा तूने
वजूद से मेरेे कि जब भी आए तूफाॅ भारी भरकम---इसी सबर ने मुझे ऐ जिनदगी तुझ
से पयार करना और सिखा दिया---आज आजाद हू अपनी सोच से इतना,कि इबादत मे
भी अपनी, सब के गुनाहो को बखश दिया मैने----ऐ जिनदगी----ऐ जिनदगी----