Tuesday 30 June 2015

ऐ जिनदगी तुझ से शिकवा कया करू--दरद की आॅधियो ने जब जब भी रूलाया मुझ को

---दिल की ताकत ने तुझ सेे जोड दिया मुझ को-----सबऱ को बाॅधा,इतना बाॅधा तूने

वजूद से मेरेे कि जब भी आए तूफाॅ भारी भरकम---इसी सबर ने मुझे ऐ जिनदगी तुझ

से पयार करना और सिखा दिया---आज आजाद हू अपनी सोच से इतना,कि इबादत मे

भी अपनी, सब के गुनाहो को बखश दिया मैने----ऐ जिनदगी----ऐ जिनदगी----

Saturday 27 June 2015

दिखाए ऐसे खवाब तुम ने कयू हम को,जिन की कोई ताबीर ना थी----हम ने सजा डाली

हजाऱो खवाहिशे अपनी,शोखियो से सजाया रॅगीन सफऱ अपना--आज अनदाज तुमहारे

है कयू बदले बदले,कहने के लिए इतना है काफी--------अपनी राहो से हटाने के लिए

ना बेरूखी अपनाईए,तेरी जिनदगी से दूर बहुत दूर निकल जाए गे--मगरूर अभी है

इतने----

Wednesday 24 June 2015

मेरे पास तुझे याद करने का इक बहाना ही तो है--ऱिशतो से जुडा तेरा मेरा आशिययाना

भी तो है---बरसो गुजर गए तुमहे रूखसत हुए,पर तेरे कदमो का मेरी रूह मे आना जाना

आज भी है---कही मुकर ना जाए तू मेरे दिल के आईने मे आने से--मेरी चाहत का नशा

तेरी रूह मे ढलना-----इक बहाना ही तो है------

Sunday 21 June 2015

बज उठी शहनाईया,दिल चुरा ले गई तेरी सारी मेहरबानिया--खुद होश मे नही है,कयू

सता रही है यह तनहाईया--कही बज रही है पायल,कही खनक चूडियो की बजा रही है

दिलो की कहानिया--कब आए गा वो दिन,जब तेरे साथ हो जाए गी मेरे कदमो की

रवानगिया--यू ही नही कहते कि मुहबबत मे मिल ही जाती है महबूब की मेहरबानिया-------

Friday 19 June 2015

इस जहान से आगे इक जहान और भी है-फिर मिले गे कभी यह गुमान आज भी है--

दऱद मिले है तुम से इतने कि मुहबबत के नाम से दिल मे कडवाहट आज भी है--हो सके

तो खुद के गुनाहो को खुदा से बऱी करवा लेना--कही भटक ना जाओ जनमो के लिए

इतनी इनसानियत तो दिखा देना----हिदायत देते है तुमहे फिर से इतनी,नाम मुहबबत

का अब बदनाम ना करना--इस जहान से आगे इक जहान और भी है-------

Monday 15 June 2015

बिखरी है जुलफे हवा मे ऐसे,लगता है खवाब निखर गए है फिजाओ मे जैसे--कयू धडक

रहा है दिल इक धीमी सी आहट से,कयू लग रहा है खुशबू फैल रही है तेरी चाहत की---

समभले तो समभले कैसे,तेरी यादो ने नीॅद से उठा दिया जैसे--पाॅव जमी पे टिकते ही

नही,आ जाओ कही दूर-बहुत दूर भटक जाए बारिश की बूदो जैसे-------

Thursday 11 June 2015

चिलमन मे झुुकी वो निगााहेे जो देखी हम ने,हजारो खवाबो मे ठल गई जिनदगी हमारी

---रौशन सा जो चेहरा नजऱ आया,खुदा की रहमत पे य़की हो गया दुबारा---वो रॅगत वो

शोखी,जुबाॅ से महकते वो अलफाज-नरम कलाईयो मे बजती हुई चूडियो की वो झनकाऱ

--तेरी सूरत मे यकीकन खुदा का अकस देखा हम ने---उस की खुदाई पे खुद को झुका

पाया हम ने--------

Wednesday 10 June 2015

वकत जखम देता रहा और हम सहते रहे---दिन-ब-दिन यह जखम नासूर बनते रहे---

कहते है जखम भर ही जाते है--पर जो जखम नासूर बन गए वो कया भर पाए गे--जब

जब कुरेदते रहे इन जखमो को--लहूलुहान होते रहे---यादो की दौड मे आॅखे भिगाते ही

रहे--रूह ने कहा इनितहाॅ हो गई ऐ मेरे खुदा--हम ने दिल दे दिया उन तमाम यादो

के साथ खुदा की इबादत मे--और जिनदगी को रौशन करने नई राह पे चल दिए-------

Sunday 7 June 2015

जेहन मे उठती हुई जिनदगी की परेशानिया भी है-पर इसी जेहन मे मुहबबत की यादे

भी है--यू तो यह जिनदगी हजारो नियामते देती है,पर दे कर बहुत कुछ छीन भी लेती है

--गाहे बगाहे इन यादो को परिनदो की तरह उडा देते है--पर कहते है ना यादो को दफन

कर दो कितना भी-पर इन की एक इमारत बन जाती है जिगऱ के किसी कोने मे------

Friday 5 June 2015

कभी फूलो मे,कभी बगीचो मे,कभी राहे-गुजऱ मे तुम थे साथ मेरे---परिनदो की उडान

को गिनते,वो सपने भी साथ गिने तुम ने-----हजारो मननते पूरी हो हमारी,उस का

शुकराना भी खुदा से मुकऱऱ किया तुम ने--कभी खुशी होगी कभी गम--राहे जिनदगी मे

साथ देने का वादा भी किया तुम ने--पर आज वकत का वो दौर देखा,जब तुम ने कहा

मुझ से---आप कौन है मेरे--यह सवाल कयू दाग दिया तुम ने मुझ पे----

Tuesday 2 June 2015

तुम परेशान हो-हम पशेमान है---दूरियो का यह सिलसिला घटता ही नही--समनदर से

उठती इन लहरो का तूफाॅ कभी कम होता ही नही-----पाॅव के छालो के लहू से जमी पे

निशाॅ बनाते जा रहे है---जाने कब कहाॅ कोई फरिशता मिटा दे दरद के यह गहरे निशाॅ--

जी उठे गी यह हसऱते--होगी फिर यह निगाहे मेहरबान-मेहरबान-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...