Monday, 15 June 2015

बिखरी है जुलफे हवा मे ऐसे,लगता है खवाब निखर गए है फिजाओ मे जैसे--कयू धडक

रहा है दिल इक धीमी सी आहट से,कयू लग रहा है खुशबू फैल रही है तेरी चाहत की---

समभले तो समभले कैसे,तेरी यादो ने नीॅद से उठा दिया जैसे--पाॅव जमी पे टिकते ही

नही,आ जाओ कही दूर-बहुत दूर भटक जाए बारिश की बूदो जैसे-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...