Sunday, 21 June 2015

बज उठी शहनाईया,दिल चुरा ले गई तेरी सारी मेहरबानिया--खुद होश मे नही है,कयू

सता रही है यह तनहाईया--कही बज रही है पायल,कही खनक चूडियो की बजा रही है

दिलो की कहानिया--कब आए गा वो दिन,जब तेरे साथ हो जाए गी मेरे कदमो की

रवानगिया--यू ही नही कहते कि मुहबबत मे मिल ही जाती है महबूब की मेहरबानिया-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...