Friday 19 June 2015

इस जहान से आगे इक जहान और भी है-फिर मिले गे कभी यह गुमान आज भी है--

दऱद मिले है तुम से इतने कि मुहबबत के नाम से दिल मे कडवाहट आज भी है--हो सके

तो खुद के गुनाहो को खुदा से बऱी करवा लेना--कही भटक ना जाओ जनमो के लिए

इतनी इनसानियत तो दिखा देना----हिदायत देते है तुमहे फिर से इतनी,नाम मुहबबत

का अब बदनाम ना करना--इस जहान से आगे इक जहान और भी है-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...