एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी
किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए..मगर हम तो जैसे सांतवे आसमान पे आ
गए...मुट्ठी भर दौलत साथ लिए हम तो जैसे,महारानी के लिबास मे निखर-निखर गए...यह इस ईद का
कमाल है या हम खुदा की पनाहों मे सज़-संवर गए..कुछ मिला या ना मिला,पर हम खुदा के नेक बन्दों
मे शामिल हो गए...