Saturday 1 August 2020

एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी 

किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए..मगर हम तो जैसे सांतवे आसमान पे आ 

गए...मुट्ठी भर दौलत साथ लिए हम तो जैसे,महारानी के लिबास मे निखर-निखर गए...यह इस ईद का 

कमाल है या हम खुदा की पनाहों मे सज़-संवर गए..कुछ मिला या ना मिला,पर हम खुदा के नेक बन्दों 

मे शामिल हो गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...