वो कहते है,हम को पढ़े गे वो सारी-सारी रात...माशाआल्हा,हम कोई किताब नहीं जिस को पढ़े आप पूरी
रात...वो बोले,हम तो आप को पहचानते है...वल्लाह,यह क्या बात हुई कि हम को पहचानते है...जनाबे
आली,इस दुनियां मे ऐसा कोई पैदा हुआ नहीं जो हम को पहचान सके...फिर हम को पढ़ना नामुमकिन
से भी नामुमकिन होगा आप के लिए...कोई छू ना सके वो सितारा है हम...जिस को रोज़ देख सके वैसा
इक चाँद है हम...अब बोलिए,कैसे हम को पढ़ या पहचान सके गे आप...