Saturday 15 August 2020

 वो कहते है,हम को पढ़े गे वो सारी-सारी रात...माशाआल्हा,हम कोई किताब नहीं जिस को पढ़े आप पूरी 


रात...वो बोले,हम तो आप को पहचानते है...वल्लाह,यह क्या बात हुई कि हम को पहचानते है...जनाबे 


आली,इस दुनियां मे ऐसा कोई पैदा हुआ नहीं जो हम को पहचान सके...फिर हम को पढ़ना नामुमकिन 


से भी नामुमकिन होगा आप के लिए...कोई छू ना सके वो सितारा है हम...जिस को रोज़ देख सके वैसा 


इक चाँद है हम...अब बोलिए,कैसे हम को पढ़ या पहचान सके गे आप...


दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...