जशने-खास है तो दिन भी तो खास होगा..दुआओ से भर कर तेरा आंचल,मेरा दिल बहुत खुश होगा..
दिखावा किस को करे कि विधाता तो सब कुछ देख रहा होगा...शिकायतें होगी तो भी उस को अंदाज़ा
होगा..वो तो विधाता है,उस से कहा कुछ छुपा होगा...एक क़तरा जब आंख से गिरता है,उस के गिरने
की वजह वो ही जानता है..वो क़तरा कितना ग़ल्त या है कितना सही,उस के खाते मे तो सच ही लिखा
जाता है..हमारे लिए जश्ने-खास है यह दिन,तो विधाता ने बरसा के रिमझिम हम को यह सच बताया है...