छोटी छोटी बातों से जो दिल को छू ले...खुद की ख़ुशी से पहले उस की ख़ुशी सोच भर ले...साथ हू तेरे,
यह कह कर उस का दुःख कुछ कम कर दे..पूजा के धागों मे रोज़ नाम उस का पाक कर दे...कुछ भी
ना लेने का जज्बा मगर फिर भी उस के लिए मालिक से,उस की हर ख़ुशी मांग ले...कोई दिखावा ना
कोई छल-कपट किसी के मन मे रहे...उस के दुःख मे रो दे,उस के सुख मे आंखे ख़ुशी से नम कर ले..
क्या कोई दिन होता है दोस्ती के रिश्ते के लिए...बिना मतलब जो दोस्ती ताउम्र निभा दे,खुदा से उस का
दर्द खुद के लिए मांग ले...ऐसी साफ़-पाक दोस्ती क्या रोज़ आती है...