मलमल का वो दुपट्टा मुझे लौटा दे कि मेरे बाबुल के घर का ताज़ है यह ...जिस को ओढ़ाया माँ ने सर
पे मेरे कि इस मे मेरी माँ का झलकता साया है...बचपन की सुहानी यादें जुड़ी है इस के हर धागे मे..
और हर धागे मे बाबुल की सारी दुआए है...माँ ने सहेजा था इस को मेरे सलोने रूप को महकाने के
लिए..तुझे कैसे दे दे इस दुपट्टे को..यह खव्बों के संसार से जुड़ा मेरा बेशकीमती तोहफा है...तू दे मुझ
को कितने तोहफे मगर यह मलमल का दुपट्टा तो मेरे बाबुल के घर का ताज़ है..शान है...