फरिश्ता ही तो था.जो हम को जीवन दे गया...रो रहे थे जब तो आंसू हमारे पोंछ गया...उदासी के घोर
भंवर मे फंसे तो ना जाने कब आ कर तुम्ही ने थाम लिया...हर संकट मे पुकारा तुम को तो किसी और
रूप मे आ कर हंसा दिया...रिश्ते इस दुनियां के कैसे-कैसे है,जिन से कितनी बार मन भर सा गया..
तुम्ही दुःख मे,तुम्ही लड़खड़ाते हुए मेरे कदमो की चाप मे...गणेशा मेरे,हम ने तो आप को भाई अपना
मान लिया...राखी के धागे की लाज अब तेरे हाथ है,इस बहिना ने तेरा दामन सदा के लिए थाम लिया...