Friday 21 August 2020

 कभी तेरे लिए  पूजा का आडम्बर किया नहीं...कि पूजा की वो रस्में वो कायदे मुझ को आते ही नहीं...


सिखाया गया था बचपन मे माँ-बाबा ने,किसी को कभी दुःख देना नहीं...जाने-अनजाने भूल हो गई हो 


तो माफ़ीनामा बस सुनाया तुम्हे...तुम जग के विघ्नहर्ता ऋणहर्ता,हर रोज़ शीश नवाया मैंने...मन की 


हर बात बेशक बुरी या अच्छी,गलत रही या सही रही..तुम को ही बताया मैंने...अपनी रक्षा करने का 


वादा तुम्हे भाई बना,मैंने ले लिया तुम से...पूजा की रस्में मैं क्या जानू,बस जानू तो इतना जानू कि सुबह 


शाम तुम को याद करू सच्चे सीधे मन से....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...