तेरे लिखे खतों से मुझे आज भी गुलाबों की महक आती है...सुना है मैंने,लोग अपने लहू से ख़त लिखा
करते है...शायद वो प्यार किया ही नहीं करते,सिर्फ प्यार का दिखावा करते है...प्यार मे दिखावा कैसा..
प्यार तो इक बहती नदिया की धारा है जो बस बहता है तो बहता जाता है...कौन नदी की धारा को रोक
पाया है...शायद तेरे खतो से खुशबू इसलिए आती है,कि तूने मेरा जीवन गुलाबों की तरह महकाया है...