सिक्कों की खनक और तेरे प्यार का पलड़ा...मोती-जेवरात और तेरी वफ़ा का सदका...कही भी तू बिक
नहीं पाया..बस,यही फकीरे-अंदाज़ तेरा हमे पसंद आया...वो तेरा सफ़ेद लिबास,जैसे किसी फ़रिश्ते ने
हम को दर अपने पे बुलाया...कुछ नियामतें बांटी तुम ने,कुछ नियामतें बांटी हम ने और ज़िंदगी का वो
अधूरा ख्वाब जैसे निभा दिया तुम ने हम ने...ज़िंदगी का यह खूबसूरत फ़लसफ़ा तो अब समझ मे आया..