Sunday 16 August 2020

 सिक्कों की खनक और तेरे प्यार का पलड़ा...मोती-जेवरात और तेरी वफ़ा का सदका...कही भी तू बिक 


नहीं पाया..बस,यही फकीरे-अंदाज़ तेरा हमे पसंद आया...वो तेरा सफ़ेद लिबास,जैसे किसी फ़रिश्ते ने 


हम को दर अपने पे बुलाया...कुछ नियामतें बांटी तुम ने,कुछ नियामतें बांटी हम ने और ज़िंदगी का वो 


अधूरा ख्वाब जैसे निभा दिया तुम ने हम ने...ज़िंदगी का यह खूबसूरत फ़लसफ़ा तो अब समझ मे आया..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...