Thursday 13 August 2020

 सिंगार करे या संवर जाए..या फिर पायल की छनकाती रुनझुन लिए तेरी दीदार के लिए आ जाए...मेरा 


सादा रूप है खाव्हिश तेरी,क्यों ना अपनी सादगी से तेरे वज़ूद मे फ़ना हो जाए...ना हाथों मे कंगना ना 


आँखों मे कजरा..एक सादा सा लिबास पहने रूबरू तेरे लिए  होना... तेरे ही अक्स मे ढला यह रूप 


कहां रहा अब मेरा ...समर्पण की अद्भुत बेला और यह प्रेम तेरा और मेरा...कहानी लिख जाए गा ऐसी, 


याद करे गी जिसे यह दुनियां,कभी साँझ तो कभी सवेरा..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...