Wednesday 19 August 2020

 बेहद खूबसूरत है आज हवा,हर कण मे जैसे जीवन हो भरा..ना कर किसी से कोई गिला..जीवन कब 


किस का कितना रहा..जो भी पल मिले है उन को जी ले अपनी मर्ज़ी से,क्यों बेकार मे रहना दुःख की 


छाया मे रोज़ सुबह-शाम मन रख के खुद से जुदा...एक खूबसरत सी लय बह रही है आज किसी बहती 


नदिया की तरह...नीर भी भरा है इस मे संगीत की किसी मधुर धुन की तरह..गुनगुना ना संग मेरे,जीवन 


कितना रहा तेरा और मेरा...किस को क्या पता...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...