आसमां से जमीन तक..जिस्म से रूह तक..
प्रेम का हर शब्द जहां जुबां खोले..
वही तो मेरी ''सरगोशियां'' है..
''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ''
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...