Saturday 22 August 2020

 बादलों का गरजना...

बरखा का जम के बरसना..

चाँद का ओझल होना...

चांदनी का उसे ढूंढ लेना..

सितारों से भरी रात...

इक सितारे का गुम होना..

तूफानी रात गुजर जाना...

दीए की लो का फिर भी जलना..

चूड़ियों का खनकना..

मगर आवाज़ का सुनाई ना देना..

अल्फाज़ो का खामोश होना..

मगर शोर हर तरफ होना..

दिल का टूट जाना..

मगर दिल को बेहद सकून मिलना...

यक़ीनन यह सब ''सरगोशियां'' मे लिखे जाना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...