कदमों को ले जा रहे है पीछे,बहुत पीछे...एहसास हो चुका.तेरी ज़िंदगी मे अब हमारी कोई जगह कोई
अहमियत है ही नहीं...परदों को गिरा दिया हम ने..खिड़की दरवाजों को बंद कर दिया हम ने..तेरी
याद अब किसी झरोखें से दस्तक भी ना दे,इसलिए अपना शहर ही छोड़ दिया हम ने...बस तेरी वो
झूठी बाते तेरे वो तमाम झूठे वादे,दिल मे कही बैठे है अंदर तक...क्यों तुम ने हम को हमारी ही नज़रो
मे गिरा दिया...जन्मों तक साथ देने वाले क्यों हम को हमारे ही हाल पे छोड़ दिया...