Sunday 23 August 2020

 वो झिलमिलाती आंखे...वो नाज़ से भरी तेरी बातें...दिल के शीशे पे जो लफ्ज़ लिख जाए,तेरी कलम से 


लिखी मुहब्बत की वो मीठी बातें..संभाल के रख ली हम ने शहद से भी मधुर तेरी बतिया...इस डर से 


कोई इन को चुरा ना ले,रूह की किताब मे छुपा ली वो मधुर बतिया ...तुझे याद करने के बहाने से,देर 


रात पढ़ते है उस किताब की थोड़ी सी बतिया...आंखे क्यों भारी है,पूछता है सुबह ज़माना हम को..जवाब 


क्या दे कि सवाल मुहब्बत का है यह बहुत पुराना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...