Thursday, 20 August 2020

 प्रेम पे लिखना इक चुनौती है..इस पे लिखे हर शब्द की अपनी गरिमा है..फिर भी हम ने इस विषय पे 


लिखना चुना...प्रेम इक बहती नदिया जैसा है तो हम ने अपनी कलम मे बहती नदिया का नीर भरा...


प्रेम मे दर्द है,तो क्या हुआ..हम ने कलम अपनी को ज़िंदादिल बनाया फिर आंसुओ का दर्द पन्नों पे 


लिखा..इस दुनियां मे प्रेम सच्चा विरलों मे ही दिखता है,सो हम ने राधेकृष्ण का सारा ग्रन्थ पढ़ा...कौन 


जाने इस ग्रन्थ की महिमा से इस कलयुग मे कोई राधा तो कोई सच्चा कृष्ण बन जाए...शब्दों की ताकत 


बहुत गहरी होती है...कौन कब बदल जाए,किस को कहां खबर होती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...