नज़्म हो के ग़ज़ल हो या सुबह की उजली धूप की तरह गुनगुनाता सा कोई खूबसूरत गीत हो...जो भी
हो कुदरत की बनी नायाब सी कलाकृति हो...मुस्कराहट जो खिले होठों पे,गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
महकता चमन हो...दर्द-तकलीफ हो या उजड़े हुए मन का आशियाना,सिर्फ तेरे आने की आहट दे जाती
है सकून और हंसी का छलकता पैमाना...मुस्कराहट तेरी बेशकीमती है बहुत ,इस को लबों पे सजाए
रखना...हम मिले गे तुम्हे मनभावन रूप लिए सो कुदरत की नायाब नियामत हमेशा बने रहना..