प्यार की यह खूबसूरत चादर फैली है दूर तक..कौन किस मे घुल गया कौन किस से मिल गया...किस
को खबर है...देख आकाश मोर नाच उठा..अपने साथी संग बस बहक गया...भूल गया अपने पैरों की
वो खलिश...प्यार कहा कब खूबसूरती का मोहताज़ होता है...वो जब जब प्यार मे होता है ,तब तब
कमाल होता है...सूरत का प्यार से क्या वास्ता..सीरत ही तो प्यार का गहना है..राधा बेइंतिहा गोरी
और कृष्ण कारे-कारे...फिर भी सादिया उन के प्यार को आज भी ज़िंदा रखे है...जिस ने पावन प्रेम
का अर्थ जान लिया वो सदियों तक के लिए पाक हो गया...