Sunday 30 August 2020

 रेशमी सा दुपट्टा उस का..लहरा दिया धीमे से अपने हमदम की तरफ...खुशबू के ढेरे थे इतने कि उन 


की तपिश से अरमां सुलग गए जैसे...कमसिन और अल्हड़ बाला मगर चाल लिए मदहोशी वाला..वो 


हमदम था उस का और दीवाना भी भोला...उस की वो झरनो सी हंसी,उस की वो मासूम ख़ुशी...जो 


सिर्फ थी इतनी कि वो संग-साथ रहे उस के,थाम के ऊँगली उस की..सहज थी वो,मासूम थी वो..दुनियां 


के छल-कपट से परे इक नन्ही सी महारानी थी वो...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...