रेशमी सा दुपट्टा उस का..लहरा दिया धीमे से अपने हमदम की तरफ...खुशबू के ढेरे थे इतने कि उन
की तपिश से अरमां सुलग गए जैसे...कमसिन और अल्हड़ बाला मगर चाल लिए मदहोशी वाला..वो
हमदम था उस का और दीवाना भी भोला...उस की वो झरनो सी हंसी,उस की वो मासूम ख़ुशी...जो
सिर्फ थी इतनी कि वो संग-साथ रहे उस के,थाम के ऊँगली उस की..सहज थी वो,मासूम थी वो..दुनियां
के छल-कपट से परे इक नन्ही सी महारानी थी वो...