Sunday 9 August 2020

 नन्हा सा मोती आंख से फिसला और लब पे रुक कर मुस्कुरा दिया...लब ने प्यार से चूमा उस को और 


गला जैसे रूँघ गया...कीमत इस मोती की सब ने जानी और यह नन्हा सा मोती रूह की आगोश मे 


जैसे घुल-घुल गया...पूरा जिस्म जैसे महक गया और सर से पाँव तक यह जैसे नियामतों से भर गया...


बहुत मोती बह गए इन आँखों की राह से..यह नन्हा सा मोती कैसा पैगाम दे गया...यह आँखों की वो 


रिमझिम बारिश ना थी,यह तो शुक्राना और मुस्कान लिए नन्हा सा फरिश्ता रहा....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...