कैद ना कर किसी बंधन मे आज़ादी मुहब्बत का गहना है...मुहब्बत को दिया हज़ारों लम्हों मे मगर
शिकंजे मे खींचा जरा सा भी नहीं..राहें खुले सारी तेरे लिए,पर किसी भी उम्मीद का दीया चाहा तुझ से
कभी भी नहीं...कामयाबी की हर सीढ़ी को तू ही हासिल करे पर हम को कीमत उस कामयाबी की मिले,
यह ख़्वाब कभी देखा ही नहीं..तेरे कदम बढ़े बहुत आगे और हम तेरे पीछे पीछे रहे तेरा साया बन कर..
यह मुहब्बत मे की कोई क़ुरबानी नहीं..बस मुहब्बत बंधन नहीं..आज़ादी का खूबसूरत गहना है...