डोर तेरे साथ की कितनी दूर ले जाए गी..तेरे हाथ मे मेरा हाथ है,यह साथ कब तक निभाए गी...आसमाँ
के छोर तक या अनंत-काल की शपथ तक...सितारों के झुरमुट मे चाँद सदियों से कायम है...ग़ुम होता
है कभी घने बादलों मे पर साथ चांदनी का ना छोड़ता है...हज़ारो जन्म लेते है,दुनियां छोड़ भी देते है..
पर साथ होते है वो सदियों तल्क़ जो रूह से साथ जुड़ जाते है...अब फैसला कुदरत का है वो कितना
झुकती है इस रूहानी प्यार पे...हम तो सज़दा कर चुके,मोहर लगाना खुदा का काम है...