Tuesday 4 August 2020

डोर तेरे साथ की कितनी दूर ले जाए गी..तेरे हाथ मे मेरा हाथ है,यह साथ कब तक निभाए गी...आसमाँ 

के छोर तक या अनंत-काल की शपथ तक...सितारों के झुरमुट मे चाँद सदियों से कायम है...ग़ुम होता 

है कभी घने बादलों मे पर साथ चांदनी का ना छोड़ता है...हज़ारो जन्म लेते है,दुनियां छोड़ भी देते है..

पर साथ होते है वो सदियों तल्क़ जो रूह से साथ जुड़ जाते है...अब फैसला कुदरत का है वो कितना 

झुकती है इस रूहानी प्यार पे...हम तो सज़दा कर चुके,मोहर लगाना खुदा का काम है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...