कभी तू प्रेम को घोल दे प्रेम मे..कभी तू प्रेम को ढाल दे अनंत-काल के मेल मे..जब प्रेम मे दर्द हो तो पन्नो को भिगो दे आंसूओ के बोझ से..मिलन की बेला मिले तो मुस्कुरा दे झिलमिलाते समर्पण के खूबसूरत गीत पे...ऐ सरगोशियां मेरी..तू चलती रहे इस परिशुद्ध प्रेम की तरह, इन पन्नों के करोड़ो शब्दों पे..जीत ले दिल तू हज़ार तुझ को मेरी कसम...किसी दिन वो भी आए गा,जब तुझे तेरे पन्नों के साथ,तेरे शब्दों के साथ किसी किताब मे बांध जाए गे...फिर हर घर मे होगी तेरी छवि और लोग प्रेम का सूंदर रूप जान पाए गे...''सरगोशियां'' तू इक प्रेम का ग्रन्थ है..प्रेम हर जीव की आत्मा और प्राण है..रोकना नहीं अपनी कलम को कभी,शब्दों की भीड़ मे इक तू ही अकेली है खड़ी...खूबसूरत तेरा स्वरुप है..नज़ाकत मे ढला तेरा अस्तित्व है..''सरगोशियां'' तू मेरी जान है, तू मेरा अभिमान है...रहना है तुझे मुहब्बत के सब से ऊँचे पायदान पे,जहां वफ़ा प्रेम का दूजा नाम है...इस प्रेम मे राधा का त्याग है,इस प्रेम मे कृष्णा का पावन प्रेम है...क्या नहीं तुझ मे मैंने लिखा ऐ मेरी ''सरगोशियां'' यक़ीनन तू सिर्फ प्रेम ग्रन्थ नहीं ,तू तो मेरा दिल मेरा ईमान है...''शायरा''
Monday, 17 August 2020
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...
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आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती ...