गर्दिश मे सितारे है आज तो क्या गम है...तू साथ नहीं मेरे तो भी यह ज़िंदगी थम के भी थमी नहीं है...
बेशक थके है यह कदम पर हौसले तो अभी भी बुलंद है...क्या हुआ जो चारों तरफ अँधेरा है..क्या हुआ
जो सब की नज़रो मे हम इक गुनहगार है...रोए क्यों कि इरादों को कमजोर करने का अभी कोई इरादा
ही नहीं...मंज़िल तो हासिल करनी है मुझे कि तूने मुझे गिरते हुए कभी देखा ही नहीं...यही तो सच है जो
बार-बार ठोकर खाता है,ऊपर भी तो वही जाता है..विश्वास रख मुझ पर,बुलंदी को छू कर ही तेरे पास
आए गे..तुझे तब नाज़ होगा मुझ पर और हम फिर साथ-साथ हो जाए गे ....