Tuesday 4 August 2020

खनक रहे है तेरे वो लफ्ज़ मेरे दिल के आशियाने मे..मेरे आस-पास जैसे घेरा बनाए बैठे है तेरे वो तमाम 

लफ्ज़...कौन कहता है कि लफ्ज़ सुने और हवाओ मे ग़ुम हो गए...सुन के, दिल के कोने मे संजोना किस 

किस को आता है..वो कोना जो तेरे प्यार के तोहफे से मालामाल है..वो कोना जो तेरे दर्द से भी बेहाल 

है..वो कोना जो तुझे अपनी इबादत के धागो मे पिरो के रखता है...तू जी बेखौफ कि तुम को हम ने 

तमाम बलाओं से बचा कर जो रखा है..फिर से खनका दे लफ्ज़ अपने, इस दिल के कोने मे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...