खनक रहे है तेरे वो लफ्ज़ मेरे दिल के आशियाने मे..मेरे आस-पास जैसे घेरा बनाए बैठे है तेरे वो तमाम
लफ्ज़...कौन कहता है कि लफ्ज़ सुने और हवाओ मे ग़ुम हो गए...सुन के, दिल के कोने मे संजोना किस
किस को आता है..वो कोना जो तेरे प्यार के तोहफे से मालामाल है..वो कोना जो तेरे दर्द से भी बेहाल
है..वो कोना जो तुझे अपनी इबादत के धागो मे पिरो के रखता है...तू जी बेखौफ कि तुम को हम ने
तमाम बलाओं से बचा कर जो रखा है..फिर से खनका दे लफ्ज़ अपने, इस दिल के कोने मे...