Tuesday 4 August 2020

नयना छलक गए यू ही..क्या बात है...पलकों के कोर भीगे साथ,यक़ीनन यह प्यार है...अश्रु-धारा बह 

चली गालों पे,वल्लाह..मुहब्बत बेहद पाक और साफ़ है...यह कौन सा पायदान है इबादत का,जहां ना 

कोई रस्म है ना कोई रिवाज़ है...मन के फूल खिल गए,नयना रोते-रोते भी हंस दिए...पलकों का यह 

शामियाना तुम से कोई शिकायत करता नहीं..तुम ने दी इज़ाज़त अपनी ज़िंदगी मे,हमारे कदमों की इस 

अनोखी चाल की...शुक्रिया तुम को कहे या तक़दीर अपनी को सलाम दे...नयना फिर छलके,अब बता 

क्या बात है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...