शमा जलती रही बुझती रही,परवाने की आस मे..ना उस को आना था ना वो आया,उस के जशने-दीदार
के लिए...ख्वाइशें कुछ ना थी पर ख़्वाहिशों का खास दौर था...वो बला की खूबसूरत थी हर बात का उस
को आभास था...अल्हड़ उम्र ने देखी वो शरारत,शोखी से भरी हुई...नैना बहुत पाक थे इसलिए हर
शरारत नैनों के आर-पार थी..राहें थी पथरीली और अँधेरा साथ था...जुगनू चल रहे थे साथ उस के,उस
को डर किस बात का था...उस को बुझना ना था कभी कि मुहब्बत उस का धर्म और विश्वास था...