वो सरकता दुपट्टा..
वो आँखों का झुकना..
वो मीठी मुस्कान..
चूड़ियों का बजना..
पलकों के किनारे सजना..
दुपट्टा होठों मे दबाना..
काजल यू ही बिख़र जाना..
ख़ुशी का आंसू आंख से आना..
बेवजह हंस देना..
पायल को खुद से बजा देना..
यू ही आसमां को देख मुस्कुरा देना..
खुश होने की कोई वजह नहीं..
पर फिर भी खुश रहना...
ज़िंदगी इसी का तो नाम है...