आसमां के उस छोर बसेरा है तेरा..जमीं की सतह पे बसा है आशियाना मेरा...उस छोर पे तुम इस छोर
पे हम..मगर रूह एहसास दिलाती रहती है,यही कही मेरे आस-पास हो तुम...इतने पास कि तेरी महक
रातो को मुझे सुलाने आती है...और तेरी आवाज़ की खनक,सुबह के पहले भोर मे प्यार से जगा देती है...
खुशनसीब है इतने,तुझे हर पल पास अपने पाते है..और कही देखे तो कितने है ऐसे जो बेहद पास रह
कर भी पास नज़र नहीं आते है...