Wednesday 30 November 2016

यह हवाओ की सरसराहट अक्सर किसी की याद दिला जाती है..सुबह का यह खामोश सा सन्नाटा कही

दूर कुछ याद दिला जाता है...आइना देख कर आज खुद पे प्यार आ गया...कुछ भूली हुई हसरतो का वो

ज़माना याद आ गया...बेबाक से वो मेरी हँसी,तेरी बाहो मे सिमटी मेरी खूबसूरत वो ज़िन्दगी...कौन

कहता है कि ख़ुशी अब पास नहीं मेरे,रूह को जो सकू दे..आँखों मे जो चमक दे..वो सब कुछ है आज भी

पास मेरे....
देते रहे आवाज़..जाती रही नज़र जहा तक---ज़ुल्फो को बिखराया वहां तक..कि अँधेरा हो जाये जहा तक-

खामोश ज़िन्दगी को आज फिर कह रहे है..कि फ़िज़ा मे लौट आओ---बहारे कभी तो आए गी,यह उम्मीद

रखे गे आखिरी सांस तक---तेरे ही कदमो क़ी चाप आज भी सुनाई देती है मुझे..रातो क़ी तन्हाई आज भी

बुलाती ही तुझे---सजे गे सवरे गे,दुल्हन के लिबास मे करे गे इंतज़ार...साँसे इज़ाज़त दे गी जहा तक---

Sunday 27 November 2016

कहानी अपनी ज़िन्दगी की लिख कर...तेरे जहाँ मे लौट आये गे---जिए गे जब तलक,तेरी ही इबादत

मे खुद को देते जाये गे----क्या सही था,क्या गलत...अर्ज़ी बस तेरे ही दरबार मे लिखते जाये गे---ना

कोई अपना मिला,ना मिला शाहे-वफ़ा---तेरी ही इस दुनिया मे रंगों का एक बाजार दिखा---गर रहा

मे तेरा गुनाह-गार,तेरी हर सजा का हक़दार हू---तेरे पास आने से पहले,हर लफ्ज़ पन्नो पे लिख के

ज़िन्दगी का शुक्रगुजार हू------

Saturday 26 November 2016

दोस्तों--ज़िन्दगी का लंबा सफर और आप..बहुत कुछ खोया..कुछ ऐसा जो दिल को  छू गया..और बहुत कुछ ऐसा जो दिल को अंदर तक तोड़ गया...ग्रंथो मे लिखा है की अपने कर्म करो और फल ईश्वर पर छोड़ दो..आप ने किसी के लिए अच्छा किया यह आप का कर्म..दूसरे ने अपनी ही सोच से उस को गलत माना यह उस का कर्म...कोई बार बार अपमान करे तो अपना रास्ता ही बदल लो..अपने बारे मे किसी को कोई सफाई पेश मत करो..क्यों की कोई भी इस दुनिया मे पाक साफ नहीं है..लोग सिर्फ वही देख पते है जो उन को दिखाया जाता है..वही सुनते है जो उन को सुनाया जाता है...बस खुद को इन बेमानी बातो से आज़ाद करने की कोशिश करे..मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं...सहारो की तलाश न करे ..जो मर्जी से साथ देना चाहे तो ठीक....दुसरो के दवाब मे आ कर अब कोई फैसला न करे..लोग खुद को बचाने के लिए कोई भी चाल खेल जाते है.और आप को मिलता है जीवन भर का तिरस्कार और गहरा अपमान....सिर्फ अपने ज़मीर की ही सुने..याद रखिये दुःख और सुख,अपमान और सम्मान..यह आप को अपने कर्मो के हिसाब से मिलता है...बस खुद को अंदर से मजबूत बनाये...शुभ प्रभात..शुभ कामनाये...

Thursday 24 November 2016

यह हवाएं जब भी तेरे दामन को छू कर आती है....मुझे हल्के से सहला जाती है---वो नशा तेरे

प्यार का,वो खुमारी मेरे प्यार की..यह सब कानो मे मेरे बता जाती है---रहते है तेरी यादो के उन

रोशन चिरागो मे,इक परछाई की तरह---महक रही है मेरी दुनिया जैसे परियो के किसी जहाँ की

तरह---कोई शिकायत ही नहीं कि तू पास नहीं मेरे---तेरी मुहब्बत हर पल मेरे जहाँ को सजा रखती है..

Wednesday 23 November 2016

वो बचपन के खिलोने,वो गुड़ियों का हसीं चेहरा....कही शतरंज की मोहरो पे,गुलामी का वो सहमा

टुकड़ा...टूटते खिलोनो की आवाज़ से आज भी डर लगता है....उन को फिर से पाने के लिए यह दिल

आज भी धड़कता है ....बिछाते नहीं उन शतरंज  की मोहरो को आज भी उन राहो मे..जहा से निकलने

के लिए आवाज़ भी दे..तो डर लगता है........
कही किसी की दुआ थी..तो कही कोई किसी का खवाब ----नज़र भर देखने के लिए तरसती रही कही

कोई ज़िन्दगी की उदास शाम ---पलके जो भीगी तो बस भीगती चली गई,कुछ अधूरे जज्बात तो कही

अधूरे से ख़यालात ----सोचा क़ि कभी पूछे किसी से,अधूरे खवाबो के साथ यह ज़िन्दगी है कैसी ---खुद

को जो टटोला तो जाना क़ि ज़िन्दगी किसी के प्यार के बिना----है कितनी अधूरी कितनी बेमानी -----

Saturday 19 November 2016

मुझे मिलने की इजाजत देने वाले..मुझ पे बला का यकीं करने वाले...कदम दर कदम साथ देने वाले...

तुझे मसीहा कहे या मुहब्बत का खुदा----दुनिया की रुसवाई से आज़ाद कराने वाले...तू मेरा राहे-वक़्त

है या मेरी किस्मत का कोई बुलंद सितारा---शुक्राना करते है तेरा उस खुदा के बाद...नवाज़ा है तुझे

दुआओ से भरी सलामती के साथ---जो किया है मेरे लिए..उस के लिए यह तमाम सांसे करते है आज

तेरे नाम...

Thursday 17 November 2016

हर बात पे रोने के लिए,कोई वजह तलाश नहीं की मैंने---बस जो मिल गया,रहमते-करम मान कर

ज़ी लिया मैंने---बेवजह क्यों मुस्कुराते है ,आज यह राज़ भी जान लिया मैंने---मुकद्दर की लकीरो

 मे जो नाम नहीं लिखा मेरे,उसी को याद कर के बस जीना सीख़ लिया मैंने---ज़िन्दगी की जंग लड़ते

लड़ते,मौत को भी प्यार करना अब सीख़ लिया मैंने---

Wednesday 16 November 2016

इक दिन और गुजरा इस ज़िन्दगी का... ऐ खुदा तेरे सज़दे मे हम फिर से झुक गए---अब मिले गा

कौन सा गम,तेरे कदमो मे भीगी पलकों से, यह सवाल फिर से पूछ लिया---चलना है अभी और कितना,

बेबसी मे तनहा सा यह हिसाब क्यों मांग लिया तुझ से----जाना तो है इक दिन  इस दुनिया से,फिर ना

जाने क्यों तेरी इबादत मे....बुझे मन से उस दिन का नाम क्यों पूछ लिया---
समंदर की लहरो को जो छुआ आज हम ने...तो आँखों से आंसू क्यों  बह निकले---खुद को भिगोया जो

पानी मे,क्यों तेरी यादो के अंकुर फिर फूटे इन्ही आँखों से----दुनिया समझती है कि तेरी जुदाई को कबूल

कर लिया है मैंने---तेरी यादो से परे,जीना भी सीख़ लिया है मैंने---अक्सर तन्हाई मे दुनिया की कहानी

पे गौर करते है..कफ़न बांध कर सर पे क्यों ज़िन्दगी को हँस कर जिया करते है----
मंज़िल न मिली..न मिला राहे-कदम-----लेती रही यह ज़िन्दगी मेरे इम्तिहाँ हर बरस,हर तरफ----

कभी रही नमी इन आँखों मे..कभी ज़ख़्म हुए नासूर,किन्ही बातो से----चलना तो था फिर भी इन्ही

राहो पे,सो मुस्कुराते रहें बेवजह .....बेवजह सी बातो पे----टूटते रहें सपने,टूटी हर आशा..टूट गया

हर रिश्ता..हर नाता...ज़िंदा है आज भी खुदा की रहमत से..बस फर्क है अब इतना कि मुकम्मल तो

जहाँ नहीं मेरा--पर दिल तो ज़िंदा है शायद चारो तरफ ------

Friday 11 November 2016

यूं तो रात गुजर ही गई तन्हाई मे.....सपने हज़ारो देख डालें,अधखुली इन आँखों से....उठे सुबह तो

नम थी यह आंखे... आईना जो देखा खुद पे प्यार आ गया...यह सोच कर क़ि आज भी तू ही रहता

है मेरी रातो की तन्हाई मे....यह जिस्म,यह जान ..आज भी है तेरे कदमो क़ी परछाई मे...दुनिया

रहे या न रहे..हम तुम आज भी है...सपनो क़ी उन्ही गहराई मे....
आसमाँ मे उड़ने लगे तो ख्याल आया, कि ज़मी तो अपनी है--उसी ज़मी पे एक मेहरबाँ हमारा भी

है---दौलत मिली शोहरत मिली..सपने आँखों मे हज़ारो लिए...ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिली--लोग

कहते है किस्मत हमारी बुलंद है...सितारों से झिलमिल, दामन मे लिपटी हर दुआ हमारे संग है----

किस से कहे,कैसे कहे...दुखो का रेला भी साथ चलता है मेरे...यह बात और है कि रखते है याद कि

ज़मी पे एक मेहरबा हमारी इंतज़ार मे है---

Thursday 10 November 2016

ज़माना देता रहा हज़ारो ही ज़ख्म...देता रहा दर्द ही दर्द----कुछ अनकही कुछ अनसुनी...कुछ रह

गई इस सीने मे,किसी गहरे नासूर की पहचान बन कर----कभी रो लिए तन्हाई मे,कभी फूटे ज़ख़्म

रात के अंधेरे मे----ज़ी हल्का हुआ तो याद आया..यह सारी दुनिया तो बेमानी है---खुद ही खुद मे

मुस्कुरा दिए..ज़िन्दगी नाम है बस जीने का..यह सोच कर खुदा की इबादत मे झुक गए----





Wednesday 9 November 2016

झील से गहरी आँखों मे डूबने के लिए....इजाजत क्यों मांग रहे हो---पलकों के इस शामियाने पे क्यों

जीवन भर..साथ चलने का  वादा मांग रहे हो---यह ज़िस्म,यह ज़ान,सर से पाव तक महकती हुई वफ़ा

की पहचान ---जरुरी तो नहीं हर वादे पे लफ़्ज़ों की मोहर ही लगाए गे हम--कुछ अनकही बाते,कुछ

झुकी पलकों की सदाए,इशारा समझो---अब भी कहे गे यही..जानम इज़ाज़त क्यों मांग रहे हो---

Sunday 6 November 2016

न तुझ से पहले,न तेरे बाद...दिल के आशियाने मे एक घर है बस तेरे ही नाम.....हर दरवाजा,हर खिड़की

जब भी खुलती है,बस तेरे ही पाव की आहट से वो हवाएँ लेती है.....कभी बहुत सर्द है यह मौसम,तो कभी

झुलसती हुई तन्हाई है.....बंद कर दे यह घर,तो भी बाहर तेरी ही यादो के सख्त पहरे है.......रोशन जब

भी यह सुबह होती है,जुल्फों की खुली वादियो मे तेरे ही आने की खबर मिलती है...
वो हम पे ग़ज़ल लिखते रहे,और हम खुली आँखों से उन्हें निहारते रहे----वो मशगूल थे हमारी ही

मुहब्बत की दासताँ लिखने मे,और हम ज़ुल्फे बिखराय उन्ही पे मेहरबां होते रहे----कहे कैसे उन से

कि दिल धड़कता है बस उन के दीदार से,पर ख़ामोशी से अपने ही दिल की धड़कने सुनते रहे---ज़ुबाँ

चाहती है कि सब कह दे उन से,एक वो है जो पास बैठे हम को नहीं..हमारी तस्वीर को बस निहारते

रहे..निहारते रहे----

Saturday 5 November 2016

हसरतो का ज़माना आया,तो उम्र ही निकल  गई ....पाँव मे पायल जो मिली तो पाँव की थकन से

यह जान ही निकल गई...कंगन का तोहफा जो पाया हम ने,बेताबी से रिश्तो की वो खनक ही

छूट गई..सहमे सहमे से जो मिले तो आँखों से आंसुओ की वो धार बह गई..अब यह आलम है

कि मुहब्बत है चारो तरफ पर मुकद्दर की वो लकीर ही हाथो से मिट गई...
लबो की ख़ामोशी को तोड़ने वाले...हर बात पे मेरी खफा होने वाले----टूटे साज़ को एक नई आवाज़

देने वाले...सितारों से दामन भरने का वादा करने वाले------कभी महजबी तो कभी शहज़ादी का नायाब

सा खिताब देने वाले..कौन हो तुम----बदलता है यह मौसम,किसी लापरवाह आशिक की तरह---टूट के

न चाह मुझे किसी शहंशाह की तरह...न बन पाऊ गी मुमताज़ तेरी,कि सांसे तो अटकी है किसी और

शहंशाह के ताजमहल की तरह----
दामन जो हुआ खाली,कभी फिर भर नहीं पाए....सिसकते रहे उम्र भर, पर तेरी जगह फिर किसी

को कभी दे ही नहीं पाए...हुस्न और इश्क का वो सुलगता तूफा,यादो के उन पन्नो पे लिखते चले

गए..खनकती हुई वो हँसी,झंकार वो पायल की...न सुनने को तैयार,नटखट सी वो जवानी की

पुकार...वो लम्हे थे या फिर रिश्तो का ताजमहल,समझ कर भी कभी समझ ही नहीं पाए.... 

Friday 4 November 2016

मैं कुछ लिखू या न लिखू...मेरी याद हर जगह कायम है....मेरे हर लफ्ज़ की ताकत दुनिया मे सब को

वाकिफ है...छिपता है चाँद जब जब बादलों के उस झुरमुट मे,इंतज़ार फिर भी होता है उस के दीदार

का सब को बेसब्री से...कही कोई  शमा जलती है अँधेरे के उस कोने मे..रोशन जहाँ बेशक न हो,पर

सुलगती है एक याद फिर भी चाहने वालो के सीने मे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...