Tuesday 18 August 2020

 मेरे प्यारे दोस्तों...लेखन एक ऐसी कला है जो किसी भी लेखक या लेखिका को उस के मुकाम तक पहुंचाने 

 के लिए अपने शुभचिंतको,दोस्तों और कड़ी समीक्षा और गहरी आलोचना पर निर्भर होता है..और एक सच्चे लेखक को इस बात के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए कि उस की हर रचना पे उस को वाही-वाही भी नहीं मिले गी..पर हां,हर लेखक यह जरूर चाहता है,खास कर एक लेखिका कि उस के लेखन पे कोई भी प्रत्रिक्रिया मे,किसी भी अभद्र भाषा का प्रयोग ना हो..कोई भी महिला जब ''प्रेम'' का विषय चुनती है तो उस पे लिखना उस के लिए किसी भी चुनौती से कम नहीं होता..और प्रेम का हर रूप पन्नो पे उतारना भी सरल नहीं होता...आप के लिए पढ़ना बेशक सरल हो सकता है मगर एक लेखक की कड़ी मेहनत के बाद ही हर रचना पन्नो पे आती है...दोस्तों, मेरे विचार से एक कामयाब लेखक वो होता है,जिस के लिखे शब्द लोगो के दिलो मे-रूह तक मे उतर जाए..हर किसी को यही लगे कि इस रचना का सीधा सम्बन्ध उसी की अपनी ज़िंदगी से है...या फिर यू लगे कि यह तो लेखक की अपने जीवन की दास्तां है..मेरी पूरी कोशिश रहती है किमेरा लिखा हर शब्द आप सब की रूह तक को छू ले..जिस दिन ऐसा होगा,वही दिन मेरे लिए इस शायरा के लिए,ज़िंदगी का बेहतरीन और कामयाबी दिन होगा..मेरी ''सरगोशियां'' से जुड़े रहे और मेरे शब्दों को कामयाब बनाने मे मदद करे.......शुभ दिन...आप की अपनी शायरा ........''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ''..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...