Thursday 31 March 2016

वो बात जो कही हम ने..कानो मे तेरे--लौट आई है सदा बन के..दिल मे मेरे--मदहोशी के

 आलम मे डूबे है ऐसे..कि दिल भी पुकारे तो रूठे है जैसे--मुकममल जहाॅ मेरा कहा होगा

..तेरे छूने का एहसास जहा होगा--अठखेलिया करती है जुलफेे..यहा वहा जैसे...धडकनो

को देती है इजाजत..तेरे हर दीदार के लिए...................
खामोशिया तेरी बुला रही है..दूर दराज से--तनहाईया मुझे डस रही है तेरी यादो के

एहसास से--सरका जो आॅचल काॅधे से मेरे..हजारो बिजलियाॅ कौॅधी है बस तेरे इक

खयाल से--सिसकियो के एहसास से..तेरी बाहो का घेरा याद आता है--रातो  को जलाते

है दीपक..तेरी हर मासूम अदा पे पयार आ जाता है--

Monday 28 March 2016

तेरी ऱजा से खुद के अरमानो को आज जोड लिया हम ने--तुझे शुकरीया कहे या

मेहरबानी तेरी..तेरेे वजूद से खुद को बाॅध लिया हम ने--तेरे इशक के कदऱ दान है बरसो

 से..यह बात और है कि अपने हुसन के चरचे नही सुुने तुम से--इतनी खामोशी है कयू

तेरे पयार मे..फिर भी बेबाकी से..तुम से रिशता जोड लिया हम ने--
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Sunday 27 March 2016

साथ चलने की इजाजत तुझे दे कैसे..कि मॅजिल बहुत दूर है मेरी--थक जाओ गे चलते

चलते कि राहे बहुत कठिन है मेरी--उलझनो को जो सुलझाओ गे..यह तो उलझ जाए गी

तुम से--मुहबबत का दावा ना कर मुझ से..कि तेरी जान पे बन जाए गी--फिर भी कसक

होगी जो तेरी चाहत मे..मेरी राहे मुबारक बन तेरे पास यकीकन लौट आए गी--

Saturday 26 March 2016

जीवन के सफर मे आप बहुत लोगो से मिलते है..कुछ लोग आप को बरसो बाद भी जान नही पाते..पर कुुछ बरसो बाद भी आप को भूल नही पातेे..अपना दायरा केवल उन लोगो तक ही सीमित रखे जो आप की कदर करना जानते हो..जो आप से तहजीब से पेश आते हो..जयादा भीड मे रहने से बेहतर है कि चुनिॅदा लोगो के साथ रहा जाए..जिन से आप कुछ सीख सके,जो आप से कुछ जान सके..खुद को हमेशा वयसत रखे..जीवन बहुत अनमोल है..दूसरो की जिॅदगियो मे दखलअॅदाजी ना करे..ना किसी को अपने जीवन मे झाॅकने की इजाजत दे..कोई हमारे बारे मे कया सोचता है..सही या गलत...इस के बारे मे सोच कर अपना समय बरबाद मत करे..आगे बढे..खुश रहे..खुशिया बाॅटे..भगवान् को हर पल याद रखे..नई सुबह मुबारक हो..शुभकामनाए....
गुसताखिया ना करो इतनी,कि बहक जाए ना हम--तेरी बाहो मे आने के लिए कही

मचल ना जाए हम--लरजते होठो से इकरारे मुहबबत कर बैठे ना हम..इशक की

पाबनदियो से कही बिखर ना जाए हम--तेरे हॅसने की अदा,गहरी मुसकुुराट मे दिल चीर

देने की खता..ऐसा ना हो तेरे होने पे मजबूर हो जाए हम--

Thursday 24 March 2016

ऱाज इस दिल के सारे..कभी ना बताए गे तुझे--तू कितना कहे कि मुहबबत तेरी..मेरे ही

दिल के करीब है--जो करते है पयार.वो बताया नही करते--हर मोड पे मिल के.खुद की

एहमियत जताया नही करते--दे कर तोहफे.तुम मेरी वफा ना खरीद पाओ गे--मेरे नाम

से कभी खुद का नाम ना जोड पाओ गे--गर करते हो पयार..तो परवाने की तरह जलना

सीखो--हसरतो को छोड कर..मुहबबत मे फना होना सीखो---
हजारो रॅग बिखरेे है आज फिजाओ मे..एक खास रॅग है तेरे पयार का--ना मिटा है ना

मिटे गा..यह इमतिहान है तेरे पयार का--वो नजऱ भर देखे तो और गहरा हो जाए गा

यह रॅग इकरार का--दुनिया बदलती रहे गी हर बार अपने चेहरे के रॅग--वो तो चमके गा

मेरी किसमत पे बिखेर कर..अपनी ही चाहत का रॅॅग--

Monday 21 March 2016

हर तरफ है धुआॅ ही धुआॅ..किस को कहे यहा अपना--राख पे चलते चलते पाॅवो के निशाॅ

अकसर मिट जाते है..पर ठिकाना कही नही अपना--बारिश के मौसम ने जो कहर ढाया.

.कालिख की तपिश मे ढेेर हुआ आशियाना--अब ना तो है वो खुला आसमाॅॅ..ना वो

मौसम की नमी--रह गया है सिरफ अॅधेरा ही अॅधेरा--
दोसतो--मेरी शायरी--दुख.दरद.सॅवेदना.मिलन.जुदाई.मुहबबत.विरह........सब से जुडी है--हर रूप को पसॅद करने का शुकरीया--

Sunday 20 March 2016

बहुत रोका..बहुत चाहा..कयू यह छलक गए आॅसू--निभाते निभाते जिॅदगी की साॅसे..

कयू इनही साॅसो से थक गए आॅसू--ना मोल है अब इस जीवन का..हर घडी तेरे दीदार

को अब तरस गए आॅसू--उमर के हर मोड पे तुझे याद करते करते..अब बिखर रहे है

कयू इतने आॅसू--अलविदा कहते कहते बरस रहे है बेतहाशा आॅसू..बेतहाशा आॅसू---
इन कागज के टुकडो से पयार नही रहा कभी..चॅद सिकको के लिए ईमान को बेेचा नही

कभी--रातो को बहाए इन अशको मे हजारो जजबात गला दिए हम ने--हजारो सवालो के

जवाब तुम से पूछने के लिए हजारो पनने भर दिए हम ने--यह जिॅदगी कभी रास नही

आई हम को..लोगो के चेहरे पढने के लिए उमर के कई साल गुजार दिए हम ने---
यह मेरी जिॅदगी तेरी अमानत ही तो हैै--मेरे हर सवाल मे उलझी हुई..पर इबादत बस

तेरी ही तो है--कभी भटके जो राहो से..तेरी तसवीर मे सिमटती मेरी उलफत ही तो है--

हजारो रॅग जो दिखा रही यह जिॅदगी..तुझ से लिपटने के लिए मेरी यह बेकरारी ही तो है

--बुला ले अब तो अपने पास मुझे..यह साॅसे अब मेरे लिए बहुत ही भारी है---

Saturday 19 March 2016

मेरा सजना मेरा सॅवरना..चेहरा सदा खिला रहना..तुझे दी जिॅदगी इस ने---ना रहना

कभी मायूस..हू गुनहगार तेरा यू जाने का--निभा पाया ना हर वादा..पर हू तेरा रूहे-जादा

--सदिया रहे..चलती रहे चलती रहे..रहो गी तुम सदा ऐसी..हो नूरे जहाॅ मेरी---मिलना

हो जब कभी मुझ से..मिलना सदियो की वो ही दुलहन बन के--
तेेरा दिन तो रोज है..तेरी हर बात दिल के करीब है---तेरा जाना इक रीत थी..पर तेरा यू

लौट आना..रूह की इक पयास है--महफूज है तेरे साए मे..दरद ही दरद मिलते रहे..पर

हम है आज भी तेरी आगोश मे--ना समझा है,ना समझे गा कोई..तेरे मेरे इस मेल को--

छोडे गे कभी जब यह दुनिया..तब जाने गा जमाना कि रूहो की यह कैसी रीत हैै---
लमहा लमहा..बने कई साल है-जुडी है कितनी बाते..जुडी है कितनी यादे--हर लमहे का

हिसाब लिखा है कागज के पननो पे--हर पनना दासताॅ सुनाए गा तुमहे..मेरे हर हाल का

--गुजऱी कैसे यह जिॅदगी तेरे बिना..इस बात का ऐलान दिले-नादाॅ कराए गा--मिलना है

तुझ से तेरे उसी आशियाने मे..कि तेरी रूह से जुडा मेरी रूह का हर तार है--

Friday 18 March 2016

तेरी दुनिया हैै दूर..बहुत दूर..मेरी पहुॅच से भी बहुत दूर--आवाजे दे तुझे कितनी..थक

कर हो गए है चूर--तेरी बाते,तेरी यादे.है नूर आज भी मेरे चेहरे का--गुफतगू करे कितनी

भी दुनिया.पर आज भी नही है तनहाॅ हम--तेरी साॅसो की वो महक.ले आए गी मुझे तेरे

ही पास--कि हो चुके है हम भी इस दुनिया से दूर...बहुत ही दूर---

Wednesday 16 March 2016

मौसम का यू बरसना..फिर बरस कर थम जाना...तेरे आने की वजह तो नही---तू चला

है मॅजिल की और..हवाओ के बहकने की इक वजह यह तो नही--खुशगवार है साॅसे मेरी

..फिजाओ के रॅगीन होने की अदा तो नही--इॅतजाऱ है अब तेरा सुबह शाम...फिर से इस

बारिश का आना..तेरे मेरे मिलन की यह वजह तो नही----

Tuesday 15 March 2016

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तू किसमत मे नही मेरी शायद..तू सिरफ यादो मे रहे गा शायद---हाथो की लकीरो मे

ढूढॅते है तेरा नाम अकसर..कयू शहनाईयो की गूॅज मे खो जाते है अकसर--दुलहन के

लिबास को कयू मान लेते है तेरा तोहफा..यह जानते हुए अमानत है तूू किसी और की

शायद--यकीॅ है आज भी कयू इतना....किसमत की लकीरो मे नाम तेरा लिखा ले गे

अपना----

Monday 14 March 2016

वो कहते है कि आप केेे हुसन ने हमे शायर बना दिया--हर कदम जो चलते है हम..इक 

तलबगार बना दिया--खुद से पयार करने लगे है इतना कि आईने मे अपनी ही सूरत को 

तेरा ही निगाहे-बान बना दिया---अब तो यह जान भी हैै हाजिर कि इस जिॅदगी को भी 

हम ने तेरा गुुलाम ही बना दिया---
बनो गी जिॅदगी मेरी..बनो गी सॅगिनी मेरी..जो दू गा पयार बेइॅतहा..बनो गी हमसफऱ

मेरी..करो वादा कि बात अब मान लो गी मेरी---------------तौबा..तेरे इतने सवाल....दे

कितने जवाब--कहे गे तुझ से सिऱफ इतना...तेरे कदमो मे है जननत मेरी..तूू किसी भी

राह से गुजरे.....रहू गी हमसफऱ तेरी..रहू गी सॅगिनी तेरी-----
 मेरे साथ चलो गे तो पीछे रह जाओ गे--साथ रहो गे तो यकीकन पिघल जाओ गे--यू

बार बार ना आओ करीब मेरेे..आग हू ऐसी कि इस की तपिश से ही झुलस जाओ गे--

जादुई-हुसन की कशिश फिर भी..तुम को पास मेरे ले आए गी--लमहा लमहा रहते रहते

पूरी जिॅदगी ही साथ रह जाओ गे--

Sunday 13 March 2016

मैै कोई गैर नही..तेरी ही अमानत हू--बरसो से बिछडी इक रूह हू..तेरी तकदीर मे लिखी

तेरी ही मुहबबत हू--जब जब तेरी आॅखे बरसी है किसी की याद मे..तेरे हर आॅसू मे छिपी

तेरी ही फरियाद हू मै--गुजर गए जनम कितने तलाश मे तेरी..अब जब मिले है तब भी

कयू अधूरी है पयास तेरी--आ पास मेरे कि अब मै तेरी ही दुलहने खास हू---

Saturday 12 March 2016

बेमौसम आई है बरसात..शायद तेरा ही पैगाम ले कर--बरसती बूॅदो मे हैैै इॅतजाऱ..तेरी

उसी मुहबबत का एहसास ले कर--यह भीगा भीगा सा मौसम..दिला रहा है याद उस

तनहाई की...जो हम ने तुम ने गुजारी थी खामोशी की..पर हलकी सी जुदाई की--आ

गए है फिर से खुले आसमाॅॅ मे आज...तेरी ही यादो का पिटारा साथ ले कर----

Friday 11 March 2016

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बेखुदी मे जो तुम नेे पुकारा..हम खुद से बेगाने हो गए--तेरी बेेरूखी जो बदली मुहबबत

मे..हम तो जैसे दीवाने हो गए--तेरी नजऱे जो टिकी मेरे चेहरे पे..हम तो गुलाब गुलाब

हो गए--यकीॅ करे तो कैसे करे..तेरी जिॅदगी कब से हमारी हो गई--दिल धडक धडक के

कह रहा है हम से..कि हम दिल से कया..रूह से तुमहारे हो गए-----

Thursday 10 March 2016

यू ना रूठो कि हम मर जाए गे..यह सुन कर हम हॅस दिए---मौत तो बस एक बार आती

है..और तुम मर चुके हो हुसने-यार हम पे---तुमहारे जिसमे-जान की हिफाजत है

जिममा मेरा..कतलेे-आम फिर से हम नही करते--तुम रहो गे मेरे दिल मे मेरी धडकन

बन के..मुहबबत का आगाज कर के फिर अॅजाम की फिकर हम नही करते----

Tuesday 8 March 2016

लोग तुझे बेवफा कहते है..तेरे नाम से कितनो का रिशता जोडते है--हवा देते है तेरे हर

बेनाम रिशते को..बदनामी के दाग से तुझे बुलाते है--पर हमे तो हवाओ मे भी तेरे बेदाग

इशक की खुशबू आती है--करवटे बदलते है जब रातो को..तेरी पाक मुहबबत की महक

आती है--तुझे इबादत की रसम मे बाॅध कर..अपनी दुनिया मे बुलाते है---


Monday 7 March 2016

दोसतो--मेरी शायरी को इतना पॅसद करने का शुक्रीया---अब मेरी वेबसाइट पे पढिए मेरी नई शायरी और मेरी कहानिया-----कैसी लगी बताना मत भूलिए गा--    सरगोशिया.काम          sargoshiyan.com

Sunday 6 March 2016

खामोशी मेरी...जुबाॅ बन गई है आज--दिल से निकली है जो यह आवाज..उस तक पहुचे

बस दुआ बन गई है आज--रासते खुद ही बॅद कर चुके है उस की वापिसी के..फिर भी

उममीदे खास कयू कर रहे है आज--दसतक होती है जब जब उस की मेरी रूह केे आस

पास..बजती है शहनाईया दिल के आॅगन मे बार बार--उस की वो लापरवाह सी हॅसी

दिल मे घर कर गई है आज------
उस का जाना मेरी दुनिया से..कयू मुझे उदास कर गया--मुहबबत तो ना थी..फिर कयू

हर लमहा उसी को याद करना..मुझे बेचैन कर गया--बेवजह हर बात पे उस का लडना..

फिर खुद ही मुझ को मनाना..कयू आज आॅखे नम कर गया--रातो को जागना..रो रो

कर उस के साथ बिताया हर पल फिर से जीना...उस से मुहबबत मान लेना कयू मेरा

वफाए इशक हो गया---- 
दिल पे पतथर रख कर उन को खुद की जिॅॅदगी से रूखसत कर दिया--वो खुश रहे अपनी

दुनिया मे..हम है बेवफा यह कह कर अपनी मुहबबत से..उन को जुदा कर दिया--

नफरत करे गे वो जब भी हम से..बेवफाई के झूठे इलजाम से खुद को रूखसत करे गे

खुद सेे...जो रिशता परवान नही चढ पाया..उस को पननो मे दफन ही कर दिया---

Saturday 5 March 2016

वकत और हालात हमेशा एक जैसे नही रहते..दोसतो..जब हालात और वकत दोनो आप  के साथ ना हो..तो उदास या बेहद परेशान मत हो..अपनी हिममत बरकरार रखे..किसी से भी बेवजह ना उलझे..मौन को अपना साथी बनाए..आप की यह खामोशी कोई समझे या ना समझे पर भगवान् देर सबेर आप के मौन की भाषा जरूर समझे गे..एक गहरी आसथा बनाए रखे..करम सही रखे...कल यह वकत भी आप का होगा और हालात भी..खुश रहे और खुशिया बाटे....नई सुबह का नमसकार अाप सब को...शुभकामनाए...शुभकामनाए...........
यादे तेरी डाल रही है खलल जिॅदगी मे मेरी--रातो को जगा रही है कयू बार बार आ कर

खवाबो मे मेरी--यह कैसा पयार है..तूने कभी छुआ भी नही..पर रूह जैसे मुकममल हो

गई है मेरी--तूने भी महसूूस किया है गर..तो सोच लेना कि मुहबबत ने जीत ली खुदाई

.....तेरी और मेरी----

Friday 4 March 2016

रूक जाईए कि अब तो साथ है आप के..मुसकुरा दीजिए कि अब तो बाहो मे हैै आप के--

टुकडे कभी दिल के हम ने किए थे आप के..पर उसी दिल को जोड के हम अब हो गए है

आप के--हाथो की मेॅहदी पेे आज नाम है बस आप का..हर चलती साॅस अब शुकराना दे

रही है आप को--हर अदा.हर वफा अब कुरबान है..आप पे..बस आप पे---
समनदर की लहरो ने छुआ..जो मेरे पैरो को..कयू पानी शराबे जाम बन गया---झुकाया

जो पलको को हम ने..कयू शाम का अॅधेरा हो गया--खुली आॅखे तो जमाना रौशन हो

गया--धरती पे कदम जो हम ने लिए..हजूम दीवानो का हमारे सजदे मे ही झुक गया--

अब हो चुके है खामोश..तो जमाने.....अब तूू भी कयू खामोश हो गया----
टूटे शीशे जैसी चुभन..तेरी जुदाई मे चली आई हैै--कितना भी मुसकुुरा ले..पर जानते हो

तुम..यह हॅसी भी तेरी फितरत से ही चुराई है--बोझ उठाए गे उन गमो का..जो विदाई

की घडी से साथ चले आए है--कयू है यकी इतना तेरे आने का..कि बार बार तेरी ही

तसवीर उभर कर सामने आई है---
टूटन तेरी चाहत की..देख कहा ले आई है--बिखरे बिखरे गेसूओ मे भी..बस तेरी सूरत ही

नजऱ आई है--दरदेेे दिल से बेहाल है..खुद की जान पे ही बन आई है--तबाही मेरी

जिॅदगी की देखने जरूर आना..कि मौत भी तभी..तेरे इॅतजाऱ मे बुलाई है---

Thursday 3 March 2016

दिल को टटोला जो हम ने..उस मे तो धडकन ना थी--खुद को देखा जो आईने मे..चेहरे

पे कोई रॅगत ना थी--जिसमे जान मे दूर दूर तक कोई हरकत ना थी--खुदा मेरेे..यह

कया हो गया..देे आए है जिस को यह धडकने.चेहरे की रॅगत...वो ही आए गा अब इस

जिसमे जान मे हरकत देने केेे लिए..इॅतजाऱ का दामन फैलाए है बस उसी के दीदार के

लिए---
कलम जब जब भी चलती है..कागज केे इन पननो पे--हजारो दरदे बयाॅ कर जाती है--

लिखने का मकसद बेेशक कुछ ना हो..जबरन जजबातो को लफजो मे ढाल जाती हैै--

रॅजो गम की सयाही जो इस दिल पे छाई है..वो अकसर इन पननो को भिगो जाती है--

ना रहे गे जब हम इस दुनिया मे..इनही पननो की सयाही सब को खून के आॅसू रूला

जाए गी---

Wednesday 2 March 2016

खामोशी....बहुत कुछ बयाॅ कर जाती है..दूर रह कर भी--हर गुफतगू कर जाती है..दूूर

रह कर भी--चेहरे तो लोग अकसर पढा करते है..पर हम तो रूह की आवाज भी सुन लेते

है--वो पयार ही कया..जो लफजो का मोहताज हो--पयार तो वो शीशा है..जो इक छोटे से

निशाॅ को भी रूबरू करता है--वकत आता है..चला जाता है..रूह की दुनिया का यह पयार

अकसर फना होने के बाद ही नजऱ आता है--

Tuesday 1 March 2016

हमारी आॅखो मे..वो सूरत अपनी ढूॅढते ही रहे--पलको की हरकत मे..वो बेताबी ही  खुद

की तलाश करते रहे--अपने हाथो मे हमारा चेहरा लिए..वो अपना वजूद देखते रहे.देखते

रहे--रात भर हमारी खूबसूरती पर..नगमे लिखते रहे.लिखतेे रहे---उन पननो पे जो देखा

हम ने अपना नाम..बस...उन को पाने के लिए मचलते रहे..मुुसकुराते रहे---

तू आज भी हैै हजारो के साथ..उन की खुशी के लिए--बेवफाई की है तूने मेरी मुहबबत

की आजमाइश के लिए--मुहबबत बिकाऊ नही होती..वो भी किसी बदनुमा इमतिहान के

लिए--पयार कोई खेल नही..यह तो जजबातो का मॅदिर है---वफाऐ हुसन झुकता है जहा

..वही इशक दिल मे लेता है जगह---यह बात और है कि दिल के टुकडे गिरते है यहा ..

कभी किसी के लिए तो कभी किसी के लिए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...