Sunday 6 March 2016

खामोशी मेरी...जुबाॅ बन गई है आज--दिल से निकली है जो यह आवाज..उस तक पहुचे

बस दुआ बन गई है आज--रासते खुद ही बॅद कर चुके है उस की वापिसी के..फिर भी

उममीदे खास कयू कर रहे है आज--दसतक होती है जब जब उस की मेरी रूह केे आस

पास..बजती है शहनाईया दिल के आॅगन मे बार बार--उस की वो लापरवाह सी हॅसी

दिल मे घर कर गई है आज------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...