Sunday 27 March 2016

साथ चलने की इजाजत तुझे दे कैसे..कि मॅजिल बहुत दूर है मेरी--थक जाओ गे चलते

चलते कि राहे बहुत कठिन है मेरी--उलझनो को जो सुलझाओ गे..यह तो उलझ जाए गी

तुम से--मुहबबत का दावा ना कर मुझ से..कि तेरी जान पे बन जाए गी--फिर भी कसक

होगी जो तेरी चाहत मे..मेरी राहे मुबारक बन तेरे पास यकीकन लौट आए गी--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...