साथ चलने की इजाजत तुझे दे कैसे..कि मॅजिल बहुत दूर है मेरी--थक जाओ गे चलते
चलते कि राहे बहुत कठिन है मेरी--उलझनो को जो सुलझाओ गे..यह तो उलझ जाए गी
तुम से--मुहबबत का दावा ना कर मुझ से..कि तेरी जान पे बन जाए गी--फिर भी कसक
होगी जो तेरी चाहत मे..मेरी राहे मुबारक बन तेरे पास यकीकन लौट आए गी--
चलते कि राहे बहुत कठिन है मेरी--उलझनो को जो सुलझाओ गे..यह तो उलझ जाए गी
तुम से--मुहबबत का दावा ना कर मुझ से..कि तेरी जान पे बन जाए गी--फिर भी कसक
होगी जो तेरी चाहत मे..मेरी राहे मुबारक बन तेरे पास यकीकन लौट आए गी--