Thursday 31 March 2016

खामोशिया तेरी बुला रही है..दूर दराज से--तनहाईया मुझे डस रही है तेरी यादो के

एहसास से--सरका जो आॅचल काॅधे से मेरे..हजारो बिजलियाॅ कौॅधी है बस तेरे इक

खयाल से--सिसकियो के एहसास से..तेरी बाहो का घेरा याद आता है--रातो  को जलाते

है दीपक..तेरी हर मासूम अदा पे पयार आ जाता है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...