यादे तेरी डाल रही है खलल जिॅदगी मे मेरी--रातो को जगा रही है कयू बार बार आ कर
खवाबो मे मेरी--यह कैसा पयार है..तूने कभी छुआ भी नही..पर रूह जैसे मुकममल हो
गई है मेरी--तूने भी महसूूस किया है गर..तो सोच लेना कि मुहबबत ने जीत ली खुदाई
.....तेरी और मेरी----
खवाबो मे मेरी--यह कैसा पयार है..तूने कभी छुआ भी नही..पर रूह जैसे मुकममल हो
गई है मेरी--तूने भी महसूूस किया है गर..तो सोच लेना कि मुहबबत ने जीत ली खुदाई
.....तेरी और मेरी----