बेमौसम आई है बरसात..शायद तेरा ही पैगाम ले कर--बरसती बूॅदो मे हैैै इॅतजाऱ..तेरी
उसी मुहबबत का एहसास ले कर--यह भीगा भीगा सा मौसम..दिला रहा है याद उस
तनहाई की...जो हम ने तुम ने गुजारी थी खामोशी की..पर हलकी सी जुदाई की--आ
गए है फिर से खुले आसमाॅॅ मे आज...तेरी ही यादो का पिटारा साथ ले कर----
उसी मुहबबत का एहसास ले कर--यह भीगा भीगा सा मौसम..दिला रहा है याद उस
तनहाई की...जो हम ने तुम ने गुजारी थी खामोशी की..पर हलकी सी जुदाई की--आ
गए है फिर से खुले आसमाॅॅ मे आज...तेरी ही यादो का पिटारा साथ ले कर----